हमें कोरोना वायरस को हराते हुए अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है: बिरला

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कोटा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने वह गुरुवार को कहा कि हमें कोरोना वायरस को हराते हुए अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है। उसके लिए सरकारें किस तरह से आगे की गतिविधियां संचालित करें, क्या राहत मिले और क्या समस्याओं का समाधान हो उसके लिए संवाद की आवश्यकता है। इसके लिए हम तैयार हैं।

उन्होंने दी एसएसआई एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकेश गुप्ता एवं निर्वाचित अध्यक्ष जम्बू कुमार जैन को बधाई एवं शुभकामना देते हुए कहा कि औद्योगिक विकास को गति देने एवं उद्यमियों की समस्याओं के निराकरण के लिए जो भी सहयोग हमसे चाहिए वह आप लोगों को मिलता रहेगा। वर्तमान परिस्थितियों में व्यापार उद्योग जगत के साथ शीघ्र ही एक बैठक कर नुकसान का आकलन किया जा कर समस्याओं के निराकरण के प्रयास किये जाऐगे।

बिरला ने यह बात कोटा प्रवास के दौरान गुरुवार को दी एसएसआई एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल से कही। इससे पहले दी एसएसआई एसोसिएशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मुकेश गुप्ता एवं निर्वाचित अध्यक्ष जम्बू कुमार जैन ने एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी के साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से भेटकर लॉकडाउन एवं कोरोना वायरस के चलते उद्योग जगत पर पड़े दुष्प्रभावों से अवगत कराया।

इस अवसर पर रामगंजमंडी की विधायक चंद्रकांता मेघवाल एवं सांगोद के पूर्व विधायक हीरालाल नागर भी उपस्थित थे। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को बताया कि कोटा में पहले से औद्योगिक मंदी का सामना किया जा रहा है। लॉकडाउन ने पूरी तरह से उद्योगों की कमर तोड़ दी है। 3 महीनों से बंद पड़े उद्योगों के संचालन में भारी परेशानियां आ रही है। खनन व्यवसाय भी पूरी तरह से ठप्प है।

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बरसात आने से कोटा स्टोन उद्योग भी चलाना मुश्किल हो जायेगा। बंद उद्योगों को भारी बिजली के बिल चुकाने पड़ रहे हैं। लेबर की कमी से उत्पादन शुरू नहीं हो पा रहा है। लॉक डाउन में लेबर पलायन कर चुकी है।

कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी ने बताया कि कोचिंग के बंद होने से हॉस्टल व्यवसायों के साथ-साथ हर ट्रेड पर भारी असर पड़ा है, जिससे उबरने में बहुत समय लग जाएगा। होटल, कैटरिंग, रेस्टोरेंट, मैरिज गार्डन, टेन्ट व्यवसायी पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं।

दी एसएसआई के अध्यक्ष मुकेश गुप्ता ने कहा होस्टलो एवं उद्योगो पर करोड़ों रुपए का कर्ज़ है। इसको कैसे चुकाया जाएगा यह सोचकर होस्टल संचालको एवं उ द्यमियो को पूरी तरह से भय एंव चिंता सता रही है। सरकारी स्तर पर विभिन्न प्रावधानो में छुट के साथ-साथ उद्यमी राहत पैकेज की राह देख रहे हैं।