सहारा की ऐंबी वैली की नीलामी से सुप्रीम कोर्ट का यू टर्न

764

नई दिल्ली। सहारा ग्रुप के फ्लैगशिप प्रॉजेक्ट ऐंबी वैली की नीलामी नाकाम रहने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रॉजेक्ट को बेचने से जुड़े ऑफिशल रिलीवर को उनकी जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया। सहारा ग्रुप से बकाया रकम की वसूली में लंबी देरी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष ऑफिशल लिक्विडेटर को ऐंबी वैली को बेचकर रकम वसूल करने का निर्देश दिया था।

ऐंबी वैली की दो बार नीलामी करने की कोशिश की गई थी और इसके लिए ग्लोबल लेवल पर एडवर्टाइजमेंट भी दिया गया था। सीनियर एडवोकेट सी एस वैद्यनाथन ने देश के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच को बताया कि इस प्रॉपर्टी के लिए कोई खरीदार नहीं मिला।

बेंच में जस्टिस रंजन गोगोई और एके सीकरी भी शामिल हैं। पहली बार नीलामी में पूरी ऐंबी वैली को बेचने की कोशिश की गई थी और दूसरी बार कोर्ट ने इस प्रॉपर्टी को हिस्सों में बेचने की अनुमति दी थी। लेकिन दोनों ही नीलामी में खरीदार नहीं मिला था।

सहारा ने ऐंबी वैली की नीलामी का काफी विरोध किया था। उसका कहना था कि उसने अपनी बकाया रकम का एक बड़ा हिस्सा चुका दिया है और बाकी की रकम की वसूली के लिए ऐंबी वैली को बेचने की जरूरत नहीं है। हालांकि, इसके बावजूद कोर्ट ने ऐंबी वैली की नीलामी कर बकाया रकम की वसूली का निर्देश दिया था। कोर्ट के इस कदम का कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने भी समर्थन किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एंबी वैली की नीलामी का इरादा छोड़ा दिया और इस मामले के रिसीवर को जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया। कोर्ट ने सहारा ग्रुप को मुंबई के निकट वसई में अपनी जमीन और न्यूयॉर्क में अपने होटल प्लाजा को बेचकर कुछ और रकम चुकाने के लिए समय दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त, 2012 को सहारा ग्रुप को सेबी की ओर से अवैध घोषित की गई उसकी दो स्कीमों के इनवेस्टर्स की रकम लौटाने के लिए सेबी को 20,000 करोड़ रुपये की रकम देने का निर्देश दिया था। सेबी का कहना है कि तब से मूल धन और उस पर ब्याज की रकम बढ़कर 37,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।

सहारा ग्रुप ने पिछले कुछ वर्षों में मूल रकम का एक बड़ा हिस्सा चुका दिया है। सहारा का कहना है कि मूल रकम के अब केवल 2,800 करोड़ रुपये बचे हैं। सुप्रीम कोर्ट मूल रकम के पूरे भुगतान के बाद इस पर ब्याज के मुद्दे की सुनवाई करेगा।