रेरा के माध्यम से सरकार बिल्डर्स पर कसेगी शिकंजा

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नई दिल्ली। सरकार रेरा के कई प्रावधानों को संशोधित कर उनको और मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रही है। ये बात सोमवार को नारेडको की 15वीं नेशनल कन्वेंशन के दौरान रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट के बारे में संबोधन करते हुए आवास और शहरी मामले मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कही।

रेरा के संबंध में कई नई जानकारियां देते हुए उन्होंने बताया कि सरकार रेरा के जिन प्रावधानों में संशोधन करने की दिशा में काम कर रही है, उनसे सभी हित-धारकों को लाभ होगा, जिनमें डेवलपर्स से लेकर घर के खरीदार तक शामिल हैं। उन्होंने बताया कि आवास और शहरी मामले मंत्रालय ने रेरा पर कई क्षेत्रीय कार्यशालाओं का आयोजन किया था, जिसमें उनके साथ-साथ मंत्री, आवास और शहरी मामले मंत्रालय भी शामिल हुए थे।

उन्होंने बताया, ‘हमें इन कार्यशालाओं में काफी उपयोगी जानकारी मिली। इन जानकारियों और विचारों के आधार पर, हमने महसूस किया है कि रेरा एक्ट में कई बदलाव लाने की आवश्यकता है। हम जल्द ही कानून में संबंधित जरूरी संशोधन करेंगे। हम इसको लेकर फिर से विचार-विमर्श शुरू करेंगे और इसे और प्रभावी बनाने के लिए जहां भी आवश्यक होगा, कानून में बदलाव करेंगे।’

उन्होंने कहा कि जब हमने क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित कीं, तो हमने देखा कि कुछ रेरा प्राधिकरण सक्रिय हैं, कुछ काफी अधिक सक्रिय हैं और कुछ में अधिक काम नहीं हो रहा है। इसलिए, हमने क्षेत्रीय स्तर पर विभिन्न रेरा अधिकारियों के बीच बातचीत को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है। हर राज्य महाराष्ट्र के रेरा प्राधिकरण महारेरा द्वारा किए जा रहे अच्छे काम से सीख सकता है। क्षेत्रीय मंचों को कई स्थानों पर स्थापित किया गया है और कई स्थानों पर पारस्परिक परामर्श बैठकें आयोजित की गई हैं।

रेंटल हाउसिंग पर कानून बनाने के लिए मांगे सुझाव
उन्होंने रेंटल हाउसिंग को लेकर सरकार की विचार प्रक्रिया के बारे में भी समझाया। केंद्र रेंटल हाउसिंग यानि किराए के आवास पर राज्यों के लिए एक कानूनी ढांचा बना रहा है। मंत्रालय ने इस संबंध में सुझाव आमंत्रित किए हैं जो इसे कैबिनेट की मंजूरी और राज्यों में प्रसारित करके लागू करेंगे। अब तक अधिकांश किराएदारी कानून किराएदार के पक्ष में हैं, मालिक के पक्ष में नहीं। जिसके कारण कई लोग अपने घर को किराए पर देने से हिचकते हैं।

रियल एस्टेट के लिए फायदेमंद होगा नया रेंटल हाउसिंग कानून
एक अनुमान के अनुसार, देश में लाखों घर खाली हैं, लेकिन किराए पर नहीं दिए जा रहे हैं। ऐसे घर एक बोझ बनते जा रहे हैं क्योंकि इसके रखरखाव पर भी काफी लागत आती है। अब तक ज्यादातर घरों को बिना किसी लीज एग्रीमेंट के किराए पर लिया जाता है और जहां एग्रीमेंट होता है, वह रजिस्टर्ड नहीं होता है।

इसलिए अब जब सभी रेंट डीड को नए किरायेदारी कानून के तहत पंजीकृत किया जाएगा, तो यह अधिक पारदर्शिता, सहजता और स्पष्टता लाएगा। उन्होंने अंत में कहा कि कई लोगों ने कई घर बनाए हैं, लेकिन उन्हें किराए पर नहीं दिया है। लेकिन एक बार जब उन्हें नए किराएदारी कानून के माध्यम से कानूनी ढांचागत सुरक्षा मिल जाती है, तो व्यापार के कई नए अवसर उनके सामने आएंगे। यह रियल एस्टेट सेक्टर के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा।