मेड इन इंडिया और मेड फॉर फॉरेन अब देश की जरूरत है, मोदी ने कहा

5418

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को इंडस्ट्री एसोसिएशन सीआईआई (Confederation of Indian Industry) के 125 साल पूरे होने के कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने इंडस्ट्री के लोगों से ज्यादातर इकोनॉमी पर बात की। थीम थी- ‘गेटिंग ग्रोथ बैक’। इस दौरान कुछ नई तो कुछ पुरानी बातें हुईं। मोदी ने भरोसा जताया कि भारत की ग्रोथ फिर से लौटेगी।

भारत की ग्रोथ लौटने का भरोसा
मोदी ने कहा- भारत लॉकडाउन को पीछे छोड़कर अनलॉक फेज-1 में एंटर कर चुका है। इस फेज में इकोनॉमी का बहुत बड़ा हिस्सा खुल चुका है। आठ दिन के बाद और काफी हिस्सा खुल जाएगा। यानी ‘गेटिंग ग्रोथ बैक’ की शुरुआत हो चुकी है।

इकोनॉमी को मजबूत करना प्रमुख प्राथमिकता
“हमें लोगों का जीवन भी बचाना है और अर्थव्यवस्था को भी संभालना है। कोरोना के खिलाफ इकोनॉमी को फिर से मजबूत करना, ये हमारी प्रमुख प्राथमिकता है। मैं तो ‘गेटिंग ग्रोथ बैक’ से आगे बढ़कर कहूंगा कि यस…वी आर गेटिंग ग्रोथ बैक।”

मेड इन इंडिया, मेड फॉर फॉरेन की जरूरत
मोदी पहले भी देश में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने की बात करते रहे हैं, लेकिन इस बार थोड़े अलग अंदाज में बोले। उन्होंने कहा- वर्ल्ड इज लुकिंग फॉर ए रिलाएबल पार्टनर। भारत में इसकी क्षमता है। इंडस्ट्री को इस मौके का पूरा फायदा उठाना चाहिए। ग्लोबल एक्सपोर्ट में हमारा शेयर काफी कम है। उद्योग संगठनों को देश की इंडस्ट्री और बाजार को ज्यादा से ज्यादा ग्लोबल बनाने में मदद करनी है। अब जरूरत है कि देश में ऐसे प्रोडक्ट बनें जो मेड इन इंडिया हों, मेड फॉर फॉरेन हों।

इंडस्ट्री एक कदम बढ़ाएगी तो, सरकार चार कदम बढ़ाएगी
“देश को आत्मनिर्भर बनाना उद्योग संगठनों की जिम्मेदारी है। आप एक कदम बढ़ाएंगे तो सरकार चार कदम बढ़ाकर आपकी मदद करेगी। प्रधानमंत्री के नाते आपको इसका भरोसा देता हूं। आत्मनिर्भर भारत का मतलब है कि हम और ज्यादा मजबूत होकर दुनिया की इकोनॉमी के साथ इंटीग्रेटेड हों और सर्पोटिव बनें।”

लोगों की उम्मीदों से आगे बढ़कर सुधार किए
“सरकार आज ऐसे पॉलिसी रिफॉर्म भी कर रही है जिनकी देश ने उम्मीद भी छोड़ दी थी। लोगों ने मान लिया था कि ये नहीं हो सकता, अब ऐसी चीजें हो रही हैं। एग्रीकल्चर सेक्टर में आजादी के बाद जो नियम बने उनमें किसानों को बिचौलियों के हाथों में छोड़ दिया गया था। किसानों के साथ हो रहे अन्याय को दूर करने की इच्छाशक्ति हमारी सरकार ने दिखाई। कानून में बदलाव के साथ अब किसानों को उनके अधिकार मिलेंगे। वे जहां चाहें, जिसे चाहें और जब चाहें अपनी फसल बेच सकते हैं।”

मोदी ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के फायदे भी गिनाए
अर्थव्यवस्था पर कोरोना के असर को देखते हुए सरकार ने पिछले महीने 20 लाख करोड़ रुपए का आत्मनिर्भर भारत पैकेज घोषित किया था। इसमें आरबीआई की घोषणाएं भी शामिल थीं। साथ ही सरकार ने कोयला सेक्टर को प्राइवेट कंपनियों के लिए खोलने जैसे इकोनोमिक रिफॉर्म के फैसले भी लिए थे। मोदी ने इन फैसलों से होने वाले फायदे भी गिनाए।

सरकारी टेंडर में विदेशी कंपनियों को मौका नहीं
मोदी ने कहा- एमएसएमई सेक्टर की लाखों यूनिट का देश की जीडीपी में करीब 30% योगदान है। एमएसएमई की परिभाषा स्पष्ट करने की मांग उद्योग जगत लंबे समय से कर रहा था। ये मांग भी पूरी हो चुकी है। एमएसएमई सेक्टर के करोड़ों साथियों को लाभ हो, इसके लिए 200 करोड़ रुपए तक की सरकारी खरीद में ग्लोबल टेंडर को खत्म कर दिया है।

कोल माइनिंग में प्राइवेट सेक्टर को एंट्री
“कोयले के भंडारण में भारत दुनिया का तीसरा बड़ा देश है। आप जैसे बिजनेस लीडर हों, उस देश में बाहर से कोयला आए, उसकी वजह क्या है? आप भी जानते हैं और हम भी जानते हैं कि कभी सरकार तो कभी नीतियां रुकावट बन रही थीं, लेकिन अब कोल सेक्टर में कमर्शियल माइनिंग की इजाजत दे दी गई है।

नए सुधारों से इंडस्ट्री और यूथ के लिए ज्यादा मौके
“कई सेक्टर को प्राइवेट निवेश के लिए खोला गया है। मिनरल माइनिंग में कंपनियां एक्सप्लोरेशन के साथ माइनिंग भी कर सकती हैं। सरकार जिस दिशा में बढ़ रही है उससे माइनिंग सेक्टर हो या रिसर्च सेक्टर हो, सब में इंडस्ट्री और यूथ को नए मौके मिलेंगे। स्ट्रैटजिक सेक्टर में भी निजी निवेश संभव हो गया है।”

देश के उद्योग जगत पर भरोसा
“देश में मैन्युफैक्चरिंग, मेक इन इंडिया को रोजगार का बड़ा माध्यम बनाने के लिए उद्योग संगठनों से चर्चा कर योजना बनाई गई है। तीन सेक्टर पर काम शुरू हो चुका है। बीते सालों में आपके सहयोग से देश में वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेनें बनीं। देश आज मेट्रो के कोच निर्यात कर रहा है। आज भारत एक दिन में 3 लाख पीपीई किट बना रहा है तो ये हमारे उद्योग जगत की ही ताकत है।”

कोरोना संकट में भारत ने 150 देशों की मदद की
“कोरोना संकट में हर कोई अपने को संभालने में लगा है। ऐसे संकट में भारत ने 150 से ज्यादा देशों को मेडिकल सप्लाई भेजकर मानवीय मदद का काम किया है। भारत ने सही तरीके से सही समय पर सही कदम उठाए। दूसरे देशों से तुलना करें तो पता चलता है कि भारत में लॉकडाउन का कितना फायदा हुआ?”

देश के गरीबों को 53 हजार करोड़ की आर्थिक मदद
“कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जो फैसले तुरंत लेने जरूरी हैं, वे लिए जा रहे हैं। साथ ही ऐसे फैसले भी लिए जो लंबे समय तक मदद करेंगे। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से गरीबों को तुरंत लाभ देने में बहुत मदद मिली। चार करोड़ लोगों के घर तक राशन पहुंचाया। प्रवासी श्रमिकों के लिए भी फ्री राशन पहुंचाया जा रहा है। गरीबों को 53 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की आर्थिक मदद कर चुके हैं।”