मासिक टैक्स भुगतान फॉर्म GSTR-3B में बदलाव पर विचार

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नई दिल्ली। जीएसटी कॉउंसिल मासिक टैक्स भुगतान फॉर्म GSTR-3B में बदलाव करने का विचार कर रही है। इसमें बिक्री रिटर्न से संबंधित आपूर्ति के आंकड़े और कर भुगतान का एक कॉलम शामिल होगा, जिसमें बाद में कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा। परिषद की अगली बैठक 28-29 जून को चंडीगढ़ में होगी। GSTR-3B फॉर्म में बदलाव से से नकली बिलों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।

विक्रेताओं द्वारा GSTR-1 में कई बार ज्यादा बिक्री दिखाई जाती है और इसके आधार पर सामान खरीदार इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करता है। जबकि GSTR-3B में कम बिक्री दिखाई जाती है ताकि जीएसटी कम देना पड़े। अभी के जीएसटीआर-3 बी में इनपुट टैक्स क्रेडिट का विवरण खुद तैयार होता है। अधिकारियों के मुताबिक, इस बदलाव से जीएसटीआर-3 बी में उपयोगकर्ता की ओर से कम जानकारी देनी होगी और फाइलिंग की प्रक्रिया भी आसान होगी।

एएमआरजी के एसोसिएट भागीदार रजत मोहन ने बताया कि इस बैठक में यात्री परिवहन सेवाएं, आवास सेवाएं, हाउस कीपिंग और क्लाउड किचन सेवा देने वाले ई-कॉमर्स ऑपरेटर के लिए टैक्स फाइलिंग में बदलाव हो सकता है। ये कंपनियां अब अलग-अलग कॉलम में अपने जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3 बी में आपूर्तिकर्ताओं की ओर से जानकारी देने के लिए जवाबदेह होंगी। इसमें उबर, स्विगी और जोमैटो जैसी कंपनियां भी दायरे में आएंगी।

इसी के साथ काउंसिल कुछ मामलों में स्पष्टीकरण भी दे सकती है। इसमें सोविनियर्स में दिए गए विज्ञापन पर जीएसटी 5 फीसदी लगेगा या 18 फीसदी, इस पर भी स्पष्टीकरण आएगा। प्रिंट मीडिया में विज्ञापन पर 5 फीसदी जीएसटी लागू है और इसी आधार पर सोविनियर्स पर भी 5 फीसदी टैक्स लगाया जा सकता है।