भारत पर साफ दिख रहा है वैश्विक सुस्ती का असर: IMF चीफ

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नई दिल्ली। पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से गुजर रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की नई प्रमुख क्रिस्टलीना जॉर्जिवा का कहना है कि इस बात की पूरी आशंका है कि ग्लोबल इकॉनमी ग्रोथ रेट दशक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच जाए। आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर अपने पहले संबोधन में जॉर्जिवा ने यह बात कही। IMF चीफ के मुताबिक, इसका असर भारत से जैसे उभरते बाजारों पर साफ-साफ दिख रहा है।

वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में भारत की विकास दर 5 फीसदी पर पहुंच गई थी। हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस वित्त वर्ष के लिए विकास की दर का अनुमान 6.9 फीसदी से घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया है। घटते ग्रोथ रेट पर लगाम लगाने के लिए सरकार और सेंट्रल बैंक (RBI) की तरफ से तमाम कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन वैश्विक सुस्ती से भारत कैसे अछूता रह सकता है।

ट्रेड वार का दिख रहा नकारात्मक असर
क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने कहा कि दो साल पहले तक विश्व की अर्थव्यवस्था सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही थी। GDP आंकड़ों के पैमाने पर वर्ल्ड इकॉनमी का 75 फीसदी हिस्सा तेजी से विकास कर रहा था, लेकिन व्यापार विवाद का इस पर नकारात्मक असर पड़ा है। उनका कहना है कि इस विवाद की वजह से वैश्विक व्यापार विकास दर थम सी गई है। उन्होंने ट्रेड वार में शामिल देशों से बातचीत के जरिए हल निकालने की अपील की है, क्योंकि इसका असर वैश्विक है और इससे कोई अछूता नहीं रह सकता है।

उभरते बाजारों पर साफ-साफ दिख रहा असर
आईएमएफ चीफ ने कहा, अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों में बेरोजगारी दर सर्वकालिक निचले स्तर पर है, लेकिन जापान और यूरोप के अन्य देशों में आर्थिक गतिविधि कम हुई है। वहीं, भारत और ब्राजील जैसे उभरते बाजारों पर इसक असर साफ-साफ दिखने लगा है।

IMF ने भी विकास दर का अनुमान घटाया
IMF ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर का अनुमान घटा दिया है। अनुमानित विकास दर में 0.30 फीसदी की कटौती की गई है। आईएमएफ ने विकास दर का अनुमान अब 7 फीसदी कर दिया है। जानकारों के मुताबिक, ऐसा घरेलू मांगों में आई कमी की वजह से किया गया है।

सरकार ने उठाए ये कदम
मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए कई कदम उठाए हैं। विदेशी निवेशकों को राहत देते हुए सुपर रिच टैक्स रेट घटाया गया। उद्योग जगत को कॉर्पोरेट टैक्स में राहत दी गई है। MSME सेक्टर को राहत देते हुए GST रिफंड के नियम आसान किए गए और समय सीमा घटाई गई। स्टार्टअप में तेजी लाने के लिए प्रक्रिया आसान बनाई गई है साथ ही टैक्स में भी राहत दी गई है।

रिजर्व बैंक लगातार घटा रहा रीपो रेट
दूसरी तरफ, रिजर्व बैंक लगातार रीपो रेट में कटौती कर रहा है। इस साल अब तक लगातार पांच बार रेट में कटौती (1.35 फीसदी) की गई है। छह छोटे-छोटे बैंकों को 12 सरकारी बैंक बैंकों में मर्ज किया गया है। बैंकों में लिक्विडिटी की समस्या को दूर करने के लिए सरकार 70 हजार करोड़ रुपए डालेगी। इसकी मदद से ये बैंक 5 लाख करोड़ तक का लोन बांट पाने में सक्षम होंगे। लोन की दर को रीपो रेट से लिंक कर सस्ता लोन बांटा जा रहा है।