भारत-अमेरिका मिलकर पकड़ेंगे मल्टीनेशन कंपनियों की टैक्स चोरी

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नयी दिल्ली। भारत और अमेरिका में चल रहे ट्रेड वार के बीच एक अच्छी खबर भी है। दोनों देशों में काम कर रहीं मल्टीनेशनल कंपनियों द्वारा की जा रही टैक्स चोरी पर बड़ा फैसला हुआ है। चोरी पर अंकुश लगाने के लिए एक समझौता किया है जिसमें टैक्स की रिपोर्ट का आदान-प्रदान कर चोरी पकड़ी जाएगी।

वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार द्विपक्षीय सक्षम प्राधिकरण व्यवस्था के साथ उक्त समझौते से दोनों देश बहुराष्ट्रीय कंपनियों की मूल इकाइयों द्वारा संबंधित क्षेत्रों में जमा की गयी देश-दर-देश (सीबीसी) रिपोर्ट का स्वत: आदान प्रदान कर सकेंगे। यह एक जनवरी 2016 या उसके बाद के वर्ष से जुड़ी रिपोर्ट पर लागू होगा। समझौते पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के चेयरमैन पी सी मोदी और भारत में अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर ने दस्तखत किये।

मकसद सीमा पार कर चोरी रोकना
समझौते का मकसद सीमा पार कर चोरी पर अंकुश लगाना है। इससे अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की होल्डिंग वाली भारतीय इकाइयों द्वारा सीबीसी रिपोर्ट स्थानीय स्तर पर जमा करने की जरूरत नहीं होगी। इससे संबंधित इकाइयों पर बोझ कम होगा। भारत सीबीसी रिपोर्ट के आदान-प्रदान को लेकर पहले ही बहुपक्षीय योग्य प्राधिकरण समझौते (एमसीएए) पर हस्ताक्षर कर चुका है। इससे 62 क्षेत्रों के साथ रिपोर्ट का आदान-प्रदान हो सकेगा।

कंपनी ने किस देश में क्या किया
बहुराष्ट्रीय कंपनी की मूल इकाई को उस क्षेत्र में निर्धारित प्राधिकरण के पास सीबीसी रिपोर्ट जमा करनी होती है, जहां की वह निवासी है। विभिन्न देशों के बीच इस प्रकार की रिपोर्ट का आदान-प्रदान ओईसीडी / जी20 बीईपीएस (आधार क्षरण और मुनाफे का हस्तांतरण) पर होता है। सीबीसी रिपोर्ट में किसी भी बहुराष्ट्रीय कंपनी की देश-दर-देश सूचना होती है।

इसमें बहुराष्ट्रीय कंपनियों की आय के वैश्विक आबंटन, कर भुगतान तथा कुछ अन्य संकेतकों के बारे में जानकारी होती है। इसमें समूह की सभी कंपनियों की सूची होती है जो क्षेत्र विशेष में परिचालन करती हैं और इन सभी इकाइयों की मुख्य व्यापार गतिविधियों की प्रवृत्ति का भी जिक्र होता है।