ओलावृष्टि, बारिश और तूफान से गेहूं एवं धनिया की फसल बर्बाद

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कोटा। बेमौसम बारिश, तूफान और ओलावृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है।संभाग में 50 प्रतिशत से अधिक गेहूं में खराब हुआ है। गेहूं अब कटने के लायक भी नहीं बचा है। गेहूं का दाना भी काला पड़ गया है। धनिया की फसल को भी काफी नुकसान हुआ है।महामारी में थ्रेसर आदि मशीनों की भी व्यवस्था नहीं हो रही है।

सब्जियों की तुड़ाई कोरोना के कारण रोक दी गई थी। जो अब तूफान और बारिश से टूटकर नष्ट हो रही है। वहीं झालावाड़ में हुई ओलावृष्टि और अंधड़ से संतरा भी पेड से टूटकर गिर गया। कहीं-कहीं धनिया के उड़ने का भी समाचार मिल रहा है।

भारतीय किसान संघ के प्रान्तीय महामंत्री जगदीश कलमंडा ने बताया कि अतिवृष्टि के कारण जब खरीफ की फसल नष्ट हुई थी तो रबी की फसल के लिए धैर्य धारण करते हुए उसमें जुट गए थे। लेकिन अब प्रकृति ने फिर एक बार धोखा दिया। गेहूं की फसल 10 प्रतिशत ही कटी थी, जो भी अभी खेतों में ही सूखने के लिए पड़ी है। वहीं जो नहीं कटी वह भी आड़ी पड़ गई।

अब इसे काटना बहुत मुश्किल होगा तथा मशीन से काटने पर भी साथ में मिट्टी आएगी। जिसके दाम पूरे नहीं मिल पाएंगे। खेतों में पानी भरने से गेहूं का पौधा पीला पड़ गया है और सड़ने की स्थिति में आ गया है। जिलाध्यक्ष गिरिराज चौधरी ने कहा कि खरीफ की खराब हुई फसल का मुआवजा अभी तक नहीं मिला है। वहीं, किसान फिर बर्बाद हो गया है।

चार महीने से गेहूं को लेकर मेहनत करने वाले किसानों के परिश्रम पर पानी फिर गया है। कोरोना के कारण से किसानों के माथे पर पहले से शिकन थी और अब असमय वृष्टि ने फसलों को चौपट कर किसान को तबाह कर दिया है।

भारतीय किसान संघ के संभागीय मीडिया प्रभारी आशीष मेहता ने बताया कि देश में चल रही कोरोना महामारी के कारण किसानों की फसल और फल -सब्जी पहले ही जाम हो गई है। अचानक करवट लेते मौसम ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें ला दी है। कोरोना महामारी में भारतीय किसान संघ शासन और प्रशासन के साथ है, लेकिन शासन को किसानों की चिंता करते हुए क्षतिपूर्ति की व्यवस्था करनी चाहिए।