फ्यूचर कूपन में ऐमजॉन के निवेश की मंजूरी रद्द, ऐमजॉन पर 200 करोड़ का जुर्माना

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नई दिल्ली। Amazon-Future Deal: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India) यानी सीसीआई (CCI) ने फ्यूचर कूपन्स में ऐमजॉन के निवेश के अप्रूवल की मंजूरी को रद्द कर दिया है। इतना ही नहीं, सीसीआई ने अमेरिका की दिग्गज कंपनी ऐमजॉन पर 200 करोड़ रुपये का भारी भरकम जुर्माना भी लगा दिया है। सीसीआई में फ्यूचर कूपन्स की तरफ से जारी एक शिकायत पर सुनवाई हो रही थी, जिसके जरिए फ्यूचर कूपन्स उम्मीद कर रहा था कि फ्यूचर ग्रुप में ऐमजॉन के निवेश की मंजूरी को रद्द कर दिया जाए।

सीसीआई ने अपने आदेश में कहा है कि अब यह जरूरी है कि डील का फिर से आकलन किया जाए। सीसीआई ने ऐमजॉन पर यह आरोप भी लगाया कि उसने गलत और झूठे स्टेटमेंट भी दिए हैं। सीसीआई ने ऐमजॉन-फ्यूचर डील मामले में कुल 57 पन्नों का आदेश जारी किया है।

ऐमजॉन पर गलत जानकारी देने का आरोप
इससे पहले 16 नवंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने सीसीआई को निर्देश दिए थे कि वह ऐमजॉन फ्यूचर कूपन्स डील मामले में अमेरिकी कंपनी को मिली मंजूरी को रद्द करे। सीसीआई को ऐसा करने के लिए दो हफ्तों का समय दिया गया था। इससे पहले कैट (CAIT) ने भी सीसीआई के खिलाफ एक पीआईएल दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि उसने ऐमजॉन को जून में ही कारण बताओ नोटिस जारी किया था, लेकिन उस पर अब तक कोई फैसला नहीं दिया है।

फ्यूचर रिटेल लिमिटेड के स्वतंत्र निदेशकों ने भी कुछ समय पहले सीसीआई के पास एक याचिका दायर की थी। इसके तहत ऐमजॉन की तरफ से 2019 में फ्यूचर कूपन्स में निवेश के लिए दी गई मंजूरी को रद्द करने की गुहार लगाई गई थी। उन्होंने ऐमजॉन पर आरोप लगाया था कि सीसीआई से अनुमोदन प्राप्त करते समय उसने गलत जानकारी दी थी।

किस बात का है झगड़ा
कई महीनों से ऐमजॉन, फ्यूचर रिटेल और रिलायंस के बीच विवाद चल रहा है। ये विवाद तब से पैदा हुआ है, जब से रिलायंस रिटेल ने फ्यूचर रिटेल को खरीदा है। फ्यूचर ग्रुप ने करीब 24 हजार करोड़ रुपये में अपना खुदरा, भंडारण और लॉजिस्टिक्स कारोबार रिलायंस इंडस्ट्री को बेचने की डील की। इस सौदे पर आपत्ति जताते हुए ऐमजॉन ने कहा था कि उसने फ्यूचर रिटेल की प्रवर्तक कंपनी फ्यूचर कूपन्स प्राइवेट लिमिटेड यानी एफसीपीएल में पिछले साल अगस्त में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी। इसके लिए हुए सौदे में ऐमजॉन को फ्यूचर समूह में निवेश करने के बारे में पहले पूछे जाने का अधिकार मिला है। साथ ही तीन से 10 साल की अवधि के बाद समूह की प्रमुख कंपनी फ्यूचर रिटेल में हिस्सेदारी खरीदने का भी अधिकार मिला है। उसी मामले को लेकर अब तक विवाद चल रहा है।