प्रस्ताव : चार साल से पुराने टैक्स असेसमेंट री-ओपन नहीं किए जा सकेंगे!

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नई दिल्ली। टैक्स फ्रेंडली एनवायरमेंट बनाने में जुटी सरकार अब ऐसा नियम बना सकती है, जिससे चार साल से पुराने टैक्स असेसमेंट री-ओपन नहीं किए जा सकेंगे। एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि नियम में बदलाव गंभीर टैक्स अपराध से जुड़े मामलों में लागू नहीं होगा। मौजूदा नियमों के मुताबिक, अभी छह साल तक के टैक्स असेसमेंट की जांच की जा सकती है।

सरकारी अधिकारी ने बताया कि अभी प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है और 5 जुलाई को बजट पेश होने से पहले इस बारे में फैसला हो जाएगा। सरकारी सूत्र ने बताया, ‘आयकर विभाग को अलग-अलग स्रोतों से क्वॉलिटी इंफॉर्मेशन मिल रही है। इससे व्यवस्था में सुधार आया है।’ उन्होंने कहा कि किसी मामले में असेसमेंट री-ओपन करना है या नहीं, यह तय करने के लिए चार साल का समय पर्याप्त है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली एनडीए सरकार ने पहले कार्यकाल में टैक्स चोरी पर रोकथाम लगाने के लिए सिस्टम को सख्त बनाते हुए कई टैक्स फ्रेंडली उपाय किए थे। उसने डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स से जुड़े मुकदमों की संख्या में कमी लाने के लिए कई कदम उठाए थे। टैक्स सिस्टम को सिंपल बनाना अब भी सरकार के एजेंडे में ऊपर है। असेसमेंट से जुड़ा हालिया प्रस्ताव टैक्सपेयर फ्रेंडली उपायों का हिस्सा है और इन पर फिलहाल काम चल रहा है।

क्या है मौजूदा प्रावधान
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जूदा प्रावधानों के मुताबिक, अगर असेसिंग ऑफिसर को लगता है कि किसी टैक्सपेयर ने एक लाख रुपये से ज्यादा टैक्स चोरी की है तो वह उसके पिछले छह असेसमेंट ईयर की इनकम का असेसमेंट, री-असेसमेंट या री-कंप्यूटेशन कर सकता है। कम रकम की टैक्स चोरी की आशंका होने पर पिछले चार का साल असेसमेंट री-ओपन किया जा सकता है।

टैक्स कानून के मुताबिक अगर विदेशी एसेट्स से जुड़े किसी मामले में टैक्स चोरी होने का पता चलता है तो उसमें पिछले 16 साल तक का असेसमेंट री-ओपन किया जा सकता है। ये सभी प्रोविजन इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 149 से संचालित होते हैं, लेकिन जब मामला छह साल के असेसमेंट का री-ओपन करने के लिए नोटिस जारी करने का होता है तो उसमें कुछ खास शर्तें भी लागू होती हैं। कोई असेसिंग ऑफिसर किसी केस को तभी री-ओपन कर सकता है, जब टैक्सपेयर रिटर्न फाइल करने में नाकाम रहा हो या उसकी तरफ से असेसमेंट के लिए जरूरी सभी डॉक्युमेंट्स या सूचना या महत्वपूर्ण तथ्य ना मुहैया कराए गए हों।

टैक्सपेयर्स का उत्पीड़न न हो, यह पक्का करने के लिए असेसमेंट की री-ओपनिंग के लिए विस्तृत दिशानिर्देश तय किए गए हैं। इन में यह दर्ज करना भी शामिल है कि मामले से संबंधित कार्रवाई से टैक्सपेयर कितना संतुष्ट है। टैक्सपेयर अगर चाहे तो वह असेसमेंट री-ओपन करने की डिपार्टमेंट की कोशिश को अदालत में चुनौती भी दे सकता है।