नेटफ्लिक्स, गूगल समेत 70 विदेशी डिजीटल फर्मों को जीएसटी का नोटिस, जानिए क्यों

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नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अ​धिकारियों ने नए कर नियमों की पालना के तहत करीब 70 विदेशी फर्मों को सूचना नोटिस भेजे हैं। जिन्हें जीएसटी विभाग से इस तरह का नोटिस मिला है, उनमें सदस्यता आधारित सेवा प्रदाता, एडटेक, ई-गेमिंग और विज्ञापन फर्में शामिल हैं।

जीएसटी व्यवस्था के तहत नया नियम 1 अक्टूबर से लागू हुआ है जिसके तहत नेटफ्लिक्स, गूगल, फेसबुक, स्पॉटिफाई जैसी सभी डिजिटल फर्मों को व्य​क्तिगत या कारोबारी उद्देश्य से दी जाने वाली सेवाओं पर 18 फीसदी की दर से एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) का भुगतान करना होगा। मामले के जानकार एक सरकारी

अ​धिकारी ने कहा कि नया नियम लागू होने से सरकार इस साल करीब 2,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद कर रही है। पिछले वित्त वर्ष में सरकार को भारत में व्यापक स्तर पर डिजिटल सेवाएं प्रदान करने वाली विदेशी फर्मों से 700 करोड़ रुपये का कर मिला था।

पहले केवल बिज़नेस-टू-बिज़नेस सेवाओं पर आईजीएसटी लगता था। भारत से बाहर विदेशी ओवरसीज ऑनलाइन इन्फॉर्मेशन ऐंड डेटाबेस एक्सेस रीट्राइवल सर्विसेज (ओआईडीएआर) सेवाओं के प्रदाताओं से आम लोगों और सरकारी इकाइयों को गैर-कारोबारी मकसद से हासिल सेवाओं पर कर देने की जरूरत नहीं होती थी।

अ​धिकारी ने बताया, ‘जीएसटी देनदारी से बचने वाली ऐसी फर्मों पर हम नजर रख रहे हैं। सबस्क्रिप्शन मॉडल वाली बड़ी कंपनियां आय के कुछ स्रोतों को छोड़कर इसका पालन कर रही हैं। हालांकि मझोली और छोटी फर्मों ने कर के उद्देश्य से अपना पंजीकरण नहीं कराया है। ओआईडीएआर प्रावधानों के तहत कर देना और रिटर्न दा​खिल करना जरूरी है।’

उक्त अ​धिकारी ने कहा कि ऐसा नहीं करने वाली फर्मों में ज्यादातर ई-गेमिंग और विज्ञापन फर्में हैं और कम सदस्यता वाली कुछ छोटी फर्में भी इसमें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अगर विदेशी संस्थाएं भारत में उपयोगकर्ताओं को सेवाएं प्रदान करती हैं तो उन्हें नए कर नियमों का अनुपालन करना होगा।

कोई भी विदेशी आपूर्तिकर्ता जो भारतीय ग्राहकों को ऐसी सेवाएं प्रदान करने में शामिल हैं, उसे जीएसटी कानून के तहत सरल पंजीकरण प्रक्रिया का पालन करना होगा। यह पंजीकरण सीधे तौर पर या भारत में अपने प्रतिनि​धियों के जरिये कराया जा सकता है और उन्हें 18 फीसदी की दर से आईजीएसटी का भुगतान करके कर का अनुपालन सुनि​श्चित करना होगा। केंद्र सरकार ने इस साल के बजट में ओआईडीएआर सेवाओं का दायरा बढ़ा दिया है और पहले की छूटों को खत्म करते हुए ‘न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप’ शब्द को भी हटा दिया है।

इसके साथ ही आईजीएसटी कानून की धारा 16 के तहत ‘गैर-करयोग्य ऑनलाइन प्रा​प्तियां’ का दायरा बढ़ाते हुए गैर-पंजीकृत प्राप्तकर्ताओं को भी शामिल कर दिया है। इस तरह सेवा प्रदाताओं पर कर संग्रह का बोझ डाला गया है।

कर अ​धिकारियों के अनुसार नए नियम आय के कई स्रोत भी सुनि​श्चित करेंगे जिनके माध्यम से ये कंपनियां ऐसी सेवाओं की बिक्री करती हैं जो पहले कर के दायरे में नहीं आती थी लेकिन अब उन्हें भी कर का अनुपालन करना होगा।

ओआईडीएआर में ऑनलाइन या इंटरनेट के माध्यम से प्रदान की जाने वाली विज्ञापन, क्लाउड सेवाएं, ई-बुक्स, फिल्में, संगीत, सॉफ्टवेयर, डेटा रिकवरी सवाएं, डेटा स्टोरेज तथा ऑनलाइन गेमिंग सेवाएं आदि शामिल हैं।

विशेषज्ञों ने कहा कि विदेशी ओआईडीएआर सेवा प्रदाता जैसे कि ओटीटी प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अपने भारतीय ग्राहकों से अच्छी खासी आय कमाते हैं।ऑनलाइन ​शिक्षा सेवाएं, गेमिंग और विज्ञापन सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियां पहले ओआईडीएआर सेवाओं के दायरे से खुद को बाहर रखने की मांग कर रही थीं लेकिन अब वे भी संशो​​धित परिभाषा के दायरे में आ गई हैं।