धनिये में आर्थिक मंदी का दौर अंतिम चरण में, बाजार में तेजी के आसार

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-मुकेश भाटिया
कमोडिटी एक्सपर्ट
कोटा। आर्थिक मंदी का दौर अब अपने अंतिम चरण में है व धनिये में मंदी का दौर अब समाप्ति की ओर है। पिछले काफी समय से मंदी के हिचकोले खाने वाले धनिये के बाजार अब कुछ सुधरने लगे हैं। धनिये में पिछले एक हफ्ते में 300 से 400 रुपये की तेजी आ चुकी है,  जिसका प्रमुख कारण कम भावों में अच्छी डिमांड का बने रहना व काफी मात्रा में नीचे के भावों में माल का सेल होना भी है।

वहीं मंडियों में अब धनिये की आवक दिन-प्रतिदिन घटने लगी है । कारण, अच्छी बारिश के बाद किसानों का खेतीहर कामों के साथ सोयाबीन की चालू फसलों की ओर रुझान बनना भी है। यही कारण है कि फिलहाल मंडियों में धनिये की आवक काफी  कम होती जा रही है।  जो आवक सात से आठ हजार बोरी प्रतिदिन की हो रही थी, वह अब मात्र ढाई से तीन हजार बोरी की ही रह गई है।

अधिकतर पुराना स्टाक किसानों के साथ-साथ व्यापारियों का कट चुका है । गुजरात की प्रमुख धनिया मंडी गोंडल व कई अन्य मंडियों में भी आवक घट गई हैं। वहीं बाजार भी कुछ सुधरे हुए हैं। साथ ही गुजरात से बीच -बीच मे एक्सपोर्ट होने की भी ख़बरें मिल रही हैं।  वहाँ भी काफी मात्रा में माल का कटान इस बीच हुआ है, जो एक अच्छी बात है।

अब जल्द ही आने वाली दीपावली की त्योहारी मांग भी निकलने की पूरी संभावना है, जिसका अच्छा खासा प्रभाव धनिये के बाजारों पर पड़ सकता है। नोटबन्दी व जीएसटी का जितना नकारात्मक प्रभाव बाजारों पर पड़ना था, वह पड़ चुका है । अब उसमें कुछ सुधार की गुंजाइश है। पिछले काफी समय से धनिया आर्थिक मंदी की मार झेल रहा है ।

धनिया व्यवसाई अब इस चालू सीजन के चलते हुए व्यापार करने के मूड में दिखाई दे रहा है। इन सभी पहलुओं को देखते हुए जहाँ 300 से 400 रुपये की तेजी पिछले आठ दिनों में धनिये में आ चुकी है, वही इन बने हुए बाजार में इतनी ही तेजी की उम्मीद और दिखाई दे रही है ।

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ज्ञातव्य है कि lendennews.com ने 30 सितम्बर 2018  की रिपोर्ट में बताया था कि मध्यप्रदेश और गुजरात में धनिये की बोवनी 20 से 30 फीसदी कम रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। पिछले वर्ष उत्पादन अधिक रहने से कीमतें पूरे वर्ष निचले स्तर पर बनी रहीं। धनिये की बोवनी घटने की मूल वजह कीमतों में कमी है।

साथ ही गुजरात का कई हिस्सों में पानी की कमी बताई जा रही है। इससे भी बोवनी घटी है। गुजरात के कच्छ और सौराष्ट्र क्षेत्रों में 25 फीसदी तक बुवाई कम बताई जा रही है। जबकि एमपी में यह कमी 30 फीसदी तक है। मध्यप्रदेश में बुवाई कम रहने की मुख्य वजह भाव निचले स्तर पर रहना है। इन सब हालातों के देखते हुए धनिया व्यापारियों के अच्छे दिन लौटने की उम्मीद की जा रही है।