देश में जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता है: तोमर

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नयी दिल्ली। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को कहा कि देश में जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। क्योंकि रसायनों और उर्वरकों का अधिक उपयोग मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के 94वें स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में आईसीएआर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और देश अधिकांश फसलों के उत्पादन के मामले में या तो नंबर एक या नंबर दो के स्थान पर है।

उन्होंने देश के अग्रणी कृषि अनुसंधान संगठन आईसीएआर को तिलहन और दलहन जैसी विभिन्न फसलों की उत्पादकता में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा क्योंकि इनकी पैदावार, वैश्विक औसत से काफी नीचे है।

तोमर ने कहा, ‘‘आईसीएआर के स्थापना दिवस को संकल्प दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए। आईसीएआर को इस दिन कुछ संकल्प लेना चाहिए और प्रयास करना चाहिए कि अगले एक साल में इसे हासिल कर लिया जाए।’’

हालांकि पिछले 93 साल के आईसीएआर के सफर में काफी सफलता मिली है, लेकिन मंत्री ने कहा कि हमारे सामने उत्पादकता के मामले में एक ‘बड़ी चुनौती’ है, खासकर तिलहन, दलहन और कपास में। तोमर ने कहा, ‘‘अगर हम (हमारी फसल की उपज) अन्य देशों के साथ तुलना करते हैं, तो हमें लगेगा कि बहुत काम किया जाना बाकी है।’’

मंत्री ने कहा कि फसल उत्पादकता का मुद्दा आईसीएआर की प्रतिज्ञा का हिस्सा होना चाहिए।

भारत खाद्य तेल की अपनी वार्षिक घरेलू मांग का लगभग 60 प्रतिशत आयात करता है। अक्टूबर को समाप्त होने वाले तेल वर्ष 2020-21 में देश ने रिकॉर्ड 1.17 लाख करोड़ रुपये के खाद्य तेलों का आयात किया था।

दालों का भी आयात किया जा रहा है लेकिन उतनी मात्रा में नहीं। तोमर ने आईसीएआर से कृषि पर जलवायु परिवर्तन की चुनौती को कम करने के लिए अपना शोध कार्य जारी रखने को कहा।

तोमर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मोदी-सरकार ने विभिन्न पहल की हैं और कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों की आय को दोगुना करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले 7-8 वर्षों में लाखों किसानों की आय न केवल दोगुनी बल्कि दोगुनी से भी अधिक हुई है। मंत्री ने जोर देकर कहा कि कृषि के क्षेत्र में युवा और शिक्षित लोगों को आकर्षित करने की जरूरत है।