तीन वर्ष में TCS बनी दुनिया की सबसे प्रॉफिटेबल आईटी कंपनी

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मुंबई।देश की सबसे बड़ी आईटी सर्विसेज कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) पर अक्टूबर 2016 में मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था। कुछ बिजनस वर्टिकल्स में चल रही दिक्कतों से कंपनी की ग्रोथ घट गई थी और उसे पिछले एक दशक की सबसे कमजोर तिमाही का सामना करना पड़ रहा था। आलोचकों का कहना था कि उसकी स्ट्रैटेजी बहुत कंजर्वेटिव है। हालांकि कंपनी तीन साल में उबर गई और अब निवेशक इस पर ग्लोबल कॉम्पिटिटर्स से बेहतर परफॉर्मेंस देने का दांव लगा रहे हैं।

टीसीएस अभी देश की सबसे तेज ग्रोथ वाली इंडियन आईटी कंपनियों में शामिल है। यह पिछले महीने ही DXC टेक्नॉलजी को पीछे छोड़ते हुए रेवेन्यू के हिसाब से दुनिया की तीसरी बड़ी आईटी सर्विसेज कंपनी बन गई थी। टाटा ग्रुप की यह कंपनी 25.9% मार्जिन के साथ ग्लोबल आईटी फर्म्स में सबसे प्रॉफिटेबल है। इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन अब दिग्गज अमेरिकी कंपनी आईबीएम से भी ज्यादा है, जिसका रेवेन्यू इसके मुकाबले चार गुना है। टीसीएस का मार्केट कैप मल्टीमीडिया और क्रिएटिव सॉफ्टवेयर कंपनी एडोबी के मुकाबले 11% ही कम है।

कंपनी ने यू हासिल की सफलता
एनालिस्टों और एग्जिक्युटिव के मुताबिक, कंपनी को ग्रोथ मोमेंटम बनाए रखने के लिए की गई स्मार्ट ऑर्गनाइजेशन रिस्ट्रक्चरिंग और पक्के इरादों से अपनी स्थिति मजबूत बनाने में मदद मिली है। उसके लिए कंपनी को छंटनी नहीं करनी पड़ी और वह ज्यादा प्रफेशनल्स का साथ छोड़े बिना ग्रोथ हासिल करने में कामयाब रही। जब टीसीएस को दोबारा डबल डिजिट ग्रोथ हासिल करने में कामयाबी मिली तो उसके चीफ एग्जिक्युटिव ने कहा कि यह सब आलोचकों को जवाब देने के लिए समूची मैनेजमेंट टीम के एकजुट होने से मुमकिन हो पाया है।

रोज अखबारों में होता था स्लोडाउन का जिक्र’
टीसीएस के सीईओ राजेश गोपीनाथन ने अक्टूबर में ईटी से कहा था, ‘उस समय लोगों में संशय था और सबसे बड़ी बात यह थी कि वह संशय कंपनी के अंदर शुरू हुआ था क्योंकि हमारा आकार बहुत बड़ा था और अखबारों में रोज स्लोडाउन का जिक्र होता था। ऐसे यह हमारे लिए अहम था कि एग्जिक्यूशन पर हमारा फोकस बना रहे। हमें साबित करना था कि यह एक सामान्य बिजनस साइकल है और हमें उसके हिसाब से अपना बिजनस चलाना है। हमें इस बात का पूरा भरोसा था कि हमें कोई चीज इससे नहीं रोक सकती।’

कंपनी ने यह बनाई रणनीति
TCS ने फ्यूचर ग्रोथ पर फोकस करने के लिए अपनी सर्विसेज यूनिट्स की रिस्ट्रक्चरिंग की। उसने क्वॉर्टर्ली टारगेट हासिल करने के लिए अपने बिजनस का कंट्रोल लगभग 200 सीनियर एग्जिक्यूटिव्स को दे दिया। कंपनी ने टॉप मैनेजमेंट को लॉन्ग टर्म गोल हासिल करने की दिशा में बढ़ने के लिए छोड़ दिया। कंपनी के सीईओ और प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसिडेंट का काम तीन और पांच साल के लिए स्ट्रैटेजिक प्लान तैयार करना था। उनके काम में नए मार्केट में एंट्री करने और अलग-अलग कस्टमर्स के लिए नई सर्विसेज एरिया पर फोकस करना भी शामिल था।