तापमान बढ़ने से बिहार एवं मध्यप्रदेश में गेहूं, दलहन की उपज कम होने के आसार

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नई दिल्ली। इस बार समय से पहले तापमान में तेजी से खेतों में खड़ी रबी की फसलों पर खतरा पैदा हो गया है।जिसके तहत बिहार और मध्य प्रदेश में गेहूं और दलहन की फसल पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और पैदावार कम होने की आशंका जताई जा रही है।वहीं पंजाब में मौसम के बदले मिजाज का असर अभी तो नहीं दिख रहा है बहरहाल पंजाब के कृषि विशेषज्ञों की तरफ से कहा जा रहा है कि मार्च में तापमान अधिक रहने पर पैदावार कम होने की आशंका रहती है।

दरअसल बिहार में शुरू में मौसम अनूकूल होने से किसान रबी फसलों के बेहतर पैदावार को लेकर आश्वस्थ थे। बिहार सरकार ने इस बार 65 लाख टन से अधिक गेहूं की पैदावार होने का अनुमान लगाया था। बहरहाल अचानक तापमान में आई तेजी ने उम्मीदों को झटका दे दिया है। बिहार के कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि मौसम का तेवर सप्ताह भर बरकरार रहा तो देर से बोई गई रबी फसलों को क्षति हो सकती है। वहीं 15 दिसम्बर के बाद लगी गेहूं की फसल में अभी बाली निकलने और दाने पुष्ट होने की ही प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में फसलों की उत्पादकता पर 20 से 25 प्रतिशत तक असर पड़ सकता है। दाने छोटे रह सकते है।

यद्यपि अगात बोई गई फसलों को कोई नुकसान नहीं होगा। ऐसे में राहत की बात यह है कि अभी रात के तापमान में अधिक उछाल नहीं है और हवा का रुख भी पुरवइया है। ऐसे में यदि पश्चिम की ओर से हवा चलने लगेगी तो नुकसान बढ सकता है। वहीं मध्य प्रदेश में इस बार गेहूं और चने की फसल जलवायु परिवर्तन के विपरीत प्रभाव (फोर्स मेच्युरिटी) का शिकार हो गई है। अभी गेहूं और चने का दाना कमजोर है। जिस तरह नौ महीने के पहले जन्म लेने वाले बच्चा प्री-मेच्योर और कमजोर माना जाता है उसी तरह से फसल चक्र का पूरा होने के पहले ही फसल पकने के चलते दाना कमजोर हो गया है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय भागलपुर के प्रभारी कुलपति आर के सोहाने ने कहा कि रबी फसलों पर खतरा हो सकता है।

प्रथम तापमान में तेजी, दूसरा हवा का रुख और तीसरा लाही का असर है। वहीं एक सप्ताह में तापमान में चार से पांच डिग्री तक इजाफा हो गया है। हवा अभी पुरवइया चल रही है। फिर भी पांच से दस प्रतिशत तक फसलों को क्षति पहुंच सकती है। वहीं मध्य प्रदेश के भोपाल के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक रतनदीप सोनी ने कहा कि गर्मी बढने से पत्तियों से पानी का उत्सर्जन तेजी से होता है, जिससे खेतों में नमी भी कम हो जाती है। ऐसे में नमी कम होने से नाइट्रोजन और फास्फोरस का अवशोषण रुक जाता है।जिसके चलते फसल के दाने का पूरा विकास नहीं होता है। ऐसे में अधिक दिनों तक सामान्य से अधिक तापमान रहने तो पैदावार कम होती है। वहीं पंजाब के लुधियाना के कृषि विशेषज्ञ डॉ. गुरदीप सिंह ने कहा कि मार्च में तापमान अधिक होने पर कम उत्पादन की आशंका रहती है। बहरहाल अभी तक तापमान उतना नहीं बढा है कि फसल को नुकसान पहुंचे।