तलवंडी जैन मंदिर में सामूहिक क्षमावाणी: करबद्ध होकर मांगी उत्तम क्षमा

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कोटा। आराधना, मैत्री और आत्मशुद्धि के माध्यम से विश्व कल्याण की कामना के लिए पर्युषण पर्व जैन धर्मावलंबियों द्वारा 10 दिनों के लिए आयोजित किया गया। शुक्रवार को इसकी समाप्ति पर जैन मंदिर तलवण्डी के विशुद्ध सभागार में तलवंडी निवासी हजारों जनों ने मन,वचन व कर्म से उत्तम क्षमा मांगी।

इससे पूर्व श्री जी भगवान का अभिषेक,पूजा अर्चना के उपरान्त माल की बोली का कार्यक्रम हुआ। मंदिर समिति अध्यक्ष सुरेश हरसोड़ा व महामंत्री रविन्द्र लुहाडिया ने बताया कि समाज से प्रतिभाभाव बच्चों, तीन,पांच व दस निर्जला उपवास करने वाले व्यक्तियों, जैन औषद्यालय, जैन धर्मशाला व जैन मंदिर में अपने सेवाएं देने वाले व्यक्तियों को सम्माानित किया गया।

कार्याध्यक्ष पंकज सेठी व कोषाध्यक्ष हेमन्त पाटनी ने बताया कि समारोह में विद्वान अभिषेक भैय्या जी के आशीर्वचन भी प्राप्त हुए। संरक्षक जेके जैन ने विद्वान अभिषेक भैया जी पावन चरित्र पडा। कार्यक्रम का संचालन राजकुमार लुहाड़िया व कमलेश सांवला ने किया।

अंत लोगो ने अपने मन,वचन व काय से वर्ष पर्यन्त हुए गलतियो की सामूहिक क्षमा मांगी ओर महाआरती की। इस अवसर पर सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष विमल जैन नांता, कार्याध्यक्ष जे के जैन, भागचंद टोंग्या, नेमीचंद अजमेरा, धर्मचंद कालानी, देवेन्द्र टोंग्या, अशोक पहाडिया, महावीर शाह, राजेश बरमुण्डा, ओम अग्रवाल, शांति कुमार चांदवाड़ सहित कई लोग उपस्थित रहे।

पर्युषण का महत्व समझाया: विद्वान अभिषेक भैया जी ने मानवीय एकता, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, मैत्री, शोषणविहीन सामाजिकता, नैतिक मूल्यों की स्थापना, अहिंसक जीवन आत्मा की उपासना शैली का समर्थन को इस महापर्व के मुख्य आधार बताया।
उन्होंने जैन दर्शन की व्याख्या करते हुए कहा कि इस उत्तम क्षमा में हम सजीव व निर्जीव, प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष सभी से अपनी क्षमा मांगते हैं।

दस दिनों तक बही धर्म की गंगा: संरक्षक जे के जैन ने बताया कि महापर्व पर्युषण पर्व पर दस दिनों तक विद्वान अभिषेक भैया जी ने प्रतिदिन सुबह पूजा अर्चना की जिसमें सैकड़ो की संख्या में लोगो ने प्रतिदिन पूजा व अर्चन किया और संध्या काल में प्रतिक्रमण व स्वाध्याय किया गया। भैया जी के उपदेशों से प्रभावित होकर बडी संख्या में प्रात: 8 से 12 बजे तक पूजा व अर्चन में जुड़े।

युवाओं ने किया उपवास: मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश हरसोड़ा ने बताया कि भैया जी के चमत्कारिक व्यक्तिव व उद्बोधनों से युवा पीढी पर बहुत प्रभाव पडा है। युवाओं ने उपवास में हिस्सा लिया। 25 वर्षीय युवती प्राची टोंग्या ने 10 दिनो के निर्जला उपवास धारण किए। भैय्या जी के उत्तम संदेशों, वचनों और उपदेशों का ही प्रभाव था कि सैकडों लोगो की उपस्थिति में प्रतिदिन मंदिर प्रांगण में रही।

संगीत पाठशाला: बच्चों के उच्च शिक्षा में बढते तनाव को संगीत के माध्यम से कम करने का विचार रखते हुए राजकुमार लुहाडिया ने मंदिर परिसर में संगीत पाठशाला का सुझाव दिया।