जन्म जयंती मनाने से अधिक संतो के सिद्धांतों को अपनाना महत्वपूर्ण: मुनि आदित्य सागर

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भगवान आदिनाथ जन्म कल्याणक महोत्सव का आयोजन

कोटा। भगवान आदिनाथ जन्म कल्याणक महोत्सव (Bhgawan Adinath Janm kalyank Mahotsav) बुधवार को हर्षोउल्लास से मनाया गया। दिगंबर जैन यात्रा संघ रामपुरा एवम दिगंबर जैन समाज रामपुरा द्वारा विशाल रथ यात्रा रामपुरा बड़ा जैन मंदिर से निकाली गई।

जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का जन्म कल्याणक महोत्सव का शुभारंभ प्रातः 7.30 बजे से विशाल रथ यात्रा के साथ हुआ। सोधर्म इंद्र का सौभाग्य रिखब चंद, सुनीता चांदवाड़ परिवार को मिला। हेमन्त बाकलीवाल रथ के सारथी बने। भगवान के चंवर ढुलाने का पुण्य संजय जैन पिड़ावा वाले, प्रदीप पाटनी और मनोज टोंगिया को प्राप्त हुआ।

प्रचार मंत्री जिनेन्द्र पापड़ीवाल ने बताया कि जैन मुनि आदित्य सागर महाराज संघ भी रथ यात्रा में जुड़े। सुन्दर से रथ में भगवान आदिनाथ को विराजमान कर रथयात्रा बड़ा मन्दिर रामपुरा से मोरी के हनुमान जी,हिंदू धर्मशाला ,आर्य समाज रोड़,रामपुरा मुख्य बाजार से लिंक रोड़ होती हुई गीता भवन पर संपन्न हुई।

मार्ग में समाज बंधुओं द्वारा स्वागत द्वार लगाए गए और भगवान और मुनि श्री की आरती के साथ अगवानी की गई। जुलूस में जैन दिव्य घोष महिला बैंड केसरिया साड़ी पहने और दो और अन्य बैंड,चार बग्गिया, ढोल नगाड़े, भगवान आदिनाथ की झांकी और जिनवाणी मां रथ और अभिषेक जल के मंगल कलश लिए महिलाएं रथ यात्रा की शोभा बढ़ा रही थी। कार्यक्रम का शुभारंभ गीता भवन में अष्ट कुंवारियों के मंगलाचरण भक्ति नृत्य द्वारा किया गया।

भगवान आदिनाथ जी के प्रथम जन्माभिषेक का सौभाग्य पारस जी छामुन्या परिवार एवम शांतिधारा का पुण्य राजेश माडिया परिवार ने लिया। मुनि संघ के चरण प्रक्षालन का सौभाग्य मनोज कुमार, सरिता कोठारी, रामपुरा कोटा निवासी को प्राप्त हुआ। मुनि श्री को शास्त्र भेंट का सौभाग्य श्री निखिलेश जी सेठी, कैलाश भवन परिवार एवम जैन दिव्य घोष महिला बैंड रामपुरा को प्राप्त हुआ।

शिक्षा के साथ संस्कार भी जरूरी
भगवान आदिनाथ जन्म कल्याणक महोत्सव की विशाल धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि आदित्य सागर ने कहा कि जन्म जयंती मनाना तो बाहरी प्रभावना है। उनके सिद्धांतों को ग्रहण कर अमल करना अंतरंग मन की प्रभावना है। तभी मानव जीवन सफल हो सकता है। मुनि श्री ने कहा की आजकल के बच्चों को उनके जन्म के प्रथम दिवस से ही संस्कार रूपी बीजारोपण उनके माता- पिता द्वारा करना चाहिए। माता पिता को भी संस्कारित रहना चाहिए। जिस तरह का वातावरण परिवार द्वारा दिया जाता है उसी अनुसार बच्चे ढल जाते हैं। बच्चों को लौकिक शिक्षा के साथ -साथ धार्मिक ज्ञान भी देने की आवश्यकता है। मुनि आदित्य सागर ने कहा की आजकल बच्चे ऑनलाइन गेम के द्वारा चंद लाभ के लिए अपना संपूर्ण भविष्य दाँव पर लगा रहे हैं। उनके माता पिता को इस पर ध्यान देना चाहिए।