मुंबई। वीडियोकॉन मामले में बुरी तरह से घिरीं ICICI बैंक की CEO चंदा कोचर छुट्टी पर चली गई हैं। हाल में बैंक बोर्ड की ओर चंदा कोचर के खिलाफ स्वतंत्र जांच के फैसले के तुरंत बाद बाद उनका इस तरह छुट्टी पर जाना कई सवाल खड़े कर रहा है।
चंदा कोचर और उनकी फैमली पर आरोप है कि वीडियोकॉन ग्रुप को लोन देने में उन्हें निजी तौर पर लाभ हासिल हुआ है। इसी के बाद बैंक ने चंदा के खिलाफ लोन बांटने में ‘कान्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट्र’ और निजी लाभ के लिए काम करने के आरोपों की स्वतंत्र जांच कराने का आदेश दिया।
बैंक ने कहा पहले से प्लान थी छुट्टी
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि उन्हें अनिश्चित काल के लिए छुट्टी पर भेज दिया है। चंदा को छुट्टी पर भेजने का फैसला बोर्ड की ओर से लिया गया। हालांकि इसके बाद बैंक बोर्ड ने एक बयान जारी करके साफ कर दिया कि चंदा कोचर को छुट्टी पर जाने के लिए नहीं कहा गया है।
वह अपनी सालाना छुट्टी पर गई हैं। यह छुट्टी पहले से ही प्लान थी। बोर्ड ने इन अटकलों को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा जा रहा था कि बोर्ड ने चंदा कोचर का उत्तराधिकारी नियुक्त करने के लिए एक सर्च कमेटी का गठन किया है।
लोन का पैसा चंदा के पति की कंपनी में लगाया गया
आरोप है कि वीडियोकॉन ग्रुप को दिए गए लोन का पैसा चंदा कोचर के पति की कंपनी न्यूपॉवर में आया। इस मामले पर पिछले हफ्ते ही सेबी ने भी नोटिस जारी कर चंदा कोचर से पूरे मामले पर जानकारी देने को कहा था।
बोर्ड की बैठक में हुआ था जांच का फैसला
इससे पहले बुधवार को हुई बैंक को बोर्ड की बैठक में चंदा कोचर के खिलाफ स्वतंत्र जांच कराने का फैसला हुआ था। एक अज्ञात व्हिसिल ब्लोअर की शिकायत के बाद यह जांच कराई जा रही है। बैंक ने रेग्युलेटरी फाइलिंग में यह जानकारी दी है। इसमें बताया गया है कि पूछताछ का दायरा व्यापक होगा और तथ्यों की जांच के दौरान और जहां भी जरूरी होगा फोरेंसिक जांच के अलावा ई-मेल की भी समीक्षा हो सकती है।
जरूरी हुआ तो जुड़े हुए कर्मचारियों के बयान भी लिए जा सकते हैं। इसके अलावा स्वतंत्र जांच करने वाले के पास अन्य व्हिसिल ब्लोअर की शिकायतों की जांच का जिम्मा भी होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के किसी रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में यह स्वतंत्र जांच कराई जाएगी।
पहले से चल रही है जांच
इससे पहले भी कोचर के खिलाफ वीडियोकॉन को लोन देने में फायदा उठाने के आरोपों की जांच चल रही है। इस मामले में सीबीआई ने अपनी आरंभिक जांच के तहत कुछ आईसीआईसीआई बैंक अधिकारियों से पूछताछ की है। सीबीआई इस बात का पता लगा रही है कि साल 2012 में वीडियोकॉन ग्रुप को दिए गए 3,250 करोड़ रुपए के लोन में बैंक किसी तरह की गड़बड़ी में शामिल है या नहीं।
सीबीआई के अधिकारियों ने कहा है कि वह लेनदेन के जुड़े दस्तावेजों का अध्ययन कर रही है। इसके अलावा यह पता लगाने की कोशिश कर रहे कि आईसीआईसीआई बैंक की एमडी और सीईओ चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और अन्य लोगों ने कोई गलत काम किया है या नहीं।
एनपीए घोषित हो चुका है 2810 करोड़ रुपए का लोन
आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ रुपए का लोन वर्ष 2012 में दिया था, जिसमें से 2,810 करोड़ रुपए नहीं लौटाए गए। बैंक ने वर्ष 2017 में इसे एनपीए घोषित कर दिया था।
सेबी ने भी शुरू की जांच
आईसीआईसीआई बैंक पर मार्केट रेग्युलेटर सेबी की भी नजर है। सेबी ने किसी भी संभावित डिसक्लोजर और कॉरपोरेट गवर्नैंस से संबंधित खामियों के मामले में जांच शुरू कर दी है। इसके साथ ही आईसीआईसीआई बैंक और कुछ सरकारी बैंकों सहित लेंडर्स ग्रुप से लोन लेने में ‘लेनदेन’ के आरोपों के कारण वीडियोकॉन और इंडस्ट्रीज और उसके प्रमोटर भी सेबी के रडार पर आ गए हैं।
20 बैंकों के कंसोर्टियम ने दिया लोन
आईसीआईसीआई बैंक के अनुसार 2012 में 20 बैंकों के कंसोर्टियम ने नियमों के मुताबिक विडियोकॉन ग्रुप को 40 हजार करोड़ रुपए का लोन देने का फैसला किया था। जिसमें से ICICI बैंक ने भी 3250 करोड़ रुपए का लोन दिया।
बैंक ने यह लोन उसी तरह की नियम और शर्तों पर दिया है जिस तरह के नियम शर्तों पर समूह के दूसरे बैंकों ने दिया है, ऐसे में वीडियोकॉन ग्रुप को विशेष लाभ दिए जाने की संभावना ही नहीं उठती। चंद्रा कोचर पर आरोप है कि वीडियोकॉन को ICICI बैंकी की ओर दिए गए लोन में उनके परिवार को निजी तौर पर लाभ मिला। बाद में वीडियोकॉन ने इस लोन की रीपेमेंट भी नहीं की।