गहलोत और पायलट के बीच कभी भी सुलग सकती है राख में दबी चिंगारी

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जयपुर। अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच भले ही दिखावे के लिए सुलह हो गई हो, लेकिन अंदर ही अंदर दोनों के बीच राख में दबी ऐसी चिंगारी सुलग रही है, जो हवा लगते ही कभी भी भड़क सकती है। जैसा दिखाया जा रहा है, हकीकत में ऐसा नहीं है। दोनों एक दूसरे को फूटी आंख देखना तक पसंद नहीं करते।

राजस्थान कांग्रेस में ‘भारत जोड़ो’ यात्रा की तैयारियों की समीक्षा करने दिल्ली से वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल पहुंचे। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जारी तनातनी को खत्म करने की भी कोशिश की। सामने आई तस्वीरों से साफ हुआ कि संकट फिलहाल के लिए टल गया है। लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि बैठक भले ही सकारात्मक रही हो, लेकिन इसके नतीजे अस्थायी हो सकते हैं। कहा जा रहा है कि वेणुगोपाल ने नेताओं को भी बयानबाजी को लेकर मंत्री परिषद से बाहर करने की सीधी चेतावनी दे दी है।

मध्य प्रदेश पड़ाव से गुजर रही कांग्रेस की पदयात्रा 3-5 दिसंबर को राजस्थान में एंट्री कर सकती है। संकट के बीच वेणुगोपाल ने यात्रा की तैयारियों को लेकर बैठक की। बैठक में पायलट और गहलोत दोनों ही एकसाथ नजर आए। इतना ही नहीं दोनों ने एक दूसरे का अभिवादन भी किया और एक ही मंच साझा किया। यहां वेणुगोपाल ने भी पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की बात को दोहराया और कहा कि दोनों नेता कांग्रेस की पूंजी हैं और राजस्थान में पार्टी एक हैं।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वेणुगोपाल दोनों नेताओं से अलग-अलग बंद कमरों में भी मिले और करीब आधे घंटे तक चर्चा की। कहा जा रहा है कि इस दौरान उन्होंने राज्य के मौजूदा हालात पर दोनों नेताओं के सामने ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) के विचार रखे। करीब दो घंटे तक चली यात्रा की समीक्षा बैठक में उन्होंने सख्त चेतावनी दी कि पार्टी नेताओं की तरफ से अब और भड़काऊ बयानबाजी नहीं होनी चाहिए।

रिपोर्ट के अनुसार, अगर कोई मंत्री ऐसी बयानबाजी करता पाया जाता है, तो उसे मंत्री परिषद से बाहर किया जा सकता है। कहा जा रहा है कि उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सभी के लिए लागू होगा। खास बात है कि सीएम गहलोत ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान पायलट को ‘गद्दार’ बता दिया था, जिसके बाद सियासी चर्चाएं तेज हो गई थी। कांग्रेस भी उनके बयान पर हैरान नजर आई थी।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों नेताओं के साथ कमरे में हुई बैठक को भले ही सकारात्मक बताया जा रहा है, तो इसके नतीजे अस्थायी हो सकते हैं। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा गया कि पार्टी चाहती हैं कि दोनों नेता मतभेदों को अलग रखे और भारत जोड़ो यात्रा पर ध्यान लगाएं।

कांग्रेस ने बगैर नाम लिए ही राजस्थान कांग्रेस में कड़े फैसले लेने के संकेत दे दिए थे। साथ ही पार्टी ने गहलोत के बयान पर हैरानी भी जाहिर की थी। मध्य प्रदेश के इंदौर में वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा था, ‘कुछ मतभेद हैं। (राजस्थान के) मुख्यमंत्री ने कुछ शब्दों का इस्तेमाल किया, जिनकी उम्मीद नहीं थी। मैं हैरान हूं। अशोक गहलोत को इंटरव्यू में कुछ शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना था।’

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने यह भी कहा था, ‘हम राजस्थान मुद्दे का समाधान खोजेंगे, जो हमारे संगठन को मजबूत करेगा। इसके लिए हमें कड़े फैसले लेने होंगे और हम उन्हें लेंगे। अगर कोई समझौता करना पड़ा, तो किया जाएगा।’

गहलोत पर एक्शन की संभव
कहा जा रहा है कि बयानबाजी के बाद ही पायलट इस मामले को लेकर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के पास ले गए थे और उन्हें एक्शन का भरोसा दिया गया है। अब संभावनाएं हैं कि पार्टी आलाकमान ‘गद्दार’ बयान को लेकर गहलोत से सफाई मांग सकती है।