कोटा संसदीय क्षेत्र: उपलब्धियां हैं तो मोदी-मंदिर का सहारा क्यों?

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कोटा-बूंदी सीट पर हो रहे लोकसभा चुनाव में प्रचार अभियान के दौरान भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी की ओर से अपने पिछले एक दशक के लोकसभा के सदस्य के रूप में कार्यकाल के दौरान किसी बड़ी उपलब्धि को न तो गिनाया जा रहा है और न ही ऎसी किसी उपलब्धि के नाम पर वोट ही मांगे जा रहे हैं। बल्कि उन्होंने तो जनता के बीच में जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो कार्यकाल की कथित उपलब्धियों और अयोध्या में बनाए गए राम मंदिर को ही अपना मुख्य मुद्दा बनाया हुआ है। इन्हीं के नाम पर लोगों से वोट मांग रहे हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी आरोप लगा रहे हैं भाजपा उम्मीदवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राम मंदिर के नाम पर वोट क्यों मांग रहे हैं? वे जनता के बीच जाकर 10 सालों की अपनी उपलब्धियों के नाम पर वोट क्यों नहीं मांगते?

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। Lok Sabha Election 2024: क्या वजह है कि दो कार्यकाल तक लगातार लोकसभा के सदस्य रहने और उसमें भी पिछले पांच साल तो देश की 141.72 करोड़ की जनशक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाले इस सदन के सम्मानित पद लोकसभा अध्यक्ष को सुशोभित करने वाले कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी ओम बिरला अपने काम की जगह मोदी के नाम पर वोट मांगने को मजबूर हैं और मौजूदा माहौल में तो लगभग सभी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी यह कर रहे हैं, लेकिन सभी तो लोकसभा अध्यक्ष नहीं है।

इसी बात और तथ्य को इस संसदीय सीट से उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस के प्रत्याशी प्रहलाद गुंजल मुख्य चुनावी प्रचार का मुद्दा बनाए हुए हैं और मतदाताओं को भी यह मसला सटीक सा लगने लगता है क्योंकि एक सांसद के रूप में एक दशक और पांच साल के लोकसभा अध्यक्ष के गरिमामय एवं बहुत अधिक प्रभावशाली पद पर बने रहते उनकी कोई भी उपलब्धि जिसे कोई गिनाना चाहे तो वह गौण सी लगती है।

गैरकानूनी और आम आदमी के लिए अहितकर होने के बावजूद विश्लेषण की सटीकता को लेकर अपनी देश भर में खास पहचान रखने वाले फ़लौदी सट्टा बाजार में भी प्रदेश के सभी भाजपा नेताओं के राजस्थान की सभी 25 सीटे जीतने को लेकर बढ़चढ़ कर किए जा रहे दावों के बावजूद कोटा-बूंदी उन चुनिंदा सीटों में से एक है, जहां भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ कड़ा इम्तहान देना पड़ रहा है।

एक बड़ी वजह भी यही बताई जा रही है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी ओम बिरला को एक बहुत सक्षम नेता के रूप में लगातार प्रचारित किए जाने के बावजूद उनके पास जनता के बीच जाकर वोट हासिल करने के लिए एक दशक की अपनी सांसदी और लोकसभा अध्यक्ष के रूप पर रहते हुए एक पासपोर्ट कार्यालय की स्थापना को छोड़कर कोटा-बूंदी के मतदाताओं के कल्याण के लिए कुछ अलग हट कर हासिल की गई उपलब्धि को गिनाने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है, बल्कि चुनावी वैतरणी पार करने के लिए उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रिय छवि का ही सहारा लेना पड़ रहा है।

पिछले दो लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी की ओर से कोटा में हवाई अड्डे के निर्माण और कोटा के प्रमुख कोचिंग सिटी होने के नाते इसे देश के प्रमुख राज्यों की राजधानियों से विमान सेवा से जोड़ने का दावा भी पुरजोर तरीके से मीडिया और चुनाव सभाओं के जरिए उठाया भी गया। वर्ष 2013 से 2018 के बीच राजस्थान में श्रीमती वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी, लेकिन तब भारतीय विमान प्राधिकरण प्राधिकरण (एएआई) के अधिकारियों के कोटा हवाई अड्डे के दौरे करवाने और कोटा के आसपास नए हवाई अड्डे के निर्माण के लिए जमीन तलाशने के काम भी हुए लेकिन नतीजा सिफर रहा।

दूसरे कार्यकाल में वर्ष 2018 से 2023 के बीच प्रदेश में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी तो राज्य सरकार के हवाई अड्डा निर्माण में बाधा खड़ी करने, हवाई अड्डे के लिए जमीन आवंटन नही करने जैसे विपक्ष में बैठे हर राजनीति के लिए सुविधाजनक रहने वाले आरोप लगाकर मूल मसले से ध्यान भटकाये रखने की कामयाब कोशिश की गई। लेकिन इसे अनदेखा कर दिया गया था।

तब भी केंद्र में तो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार मौजूद थी और उस समय केंद्र सरकार ने अपने बजट में देश के मझोले 50 शहरों में नए हवाई अड्डे बनाने की घोषणा भी की थी, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष के रूप में ओम बिरला नई दिल्ली में तत्कालीन केंद्रीय उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी, भारतीय विमान प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ लगातार बैठकें ही करते रह गए, लेकिन उन 50 शहरों की सूची में कोटा का नाम शामिल नहीं हो पाया।

इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोटावासियों को कोटा में नया हवाई अड्डा बनाने का महज सपना ही दिखाया जा रहा था, जबकि तब तक राज्य की कांग्रेस सरकार शंभूपुरा में कोटा नगर विकास न्यास के जरिए हवाई अड्डे के लिए जमीन उपलब्ध करवा चुकी थी, जिसे भारतीय विमान प्राधिकरण के अधिकारियों को सौंपने की अनौपचारिकता ही बाकी थी।

वैसे इस लोकसभा चुनाव में प्रचार अभियान के दौरान भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी की ओर से अपने पिछले एक दशक के लोकसभा के सदस्य के रूप में कार्यकाल के दौरान किसी बड़ी उपलब्धि को न तो गिनाया जा रहा है और न ही ऎसी किसी उपलब्धि के नाम पर वोट ही मांगे जा रहे हैं। बल्कि उन्होंने तो जनता के बीच में जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो कार्यकाल की कथित उपलब्धियों और अयोध्या में बनाए गए राम मंदिर को ही अपना मुख्य मुद्दा बनाया हुआ है और इन्हीं के नाम पर लोगों से वोट मांग रहे है इसलिए उन पर यह आरोप भी नहीं लगाया जा सकता है कि वे अपनी किसी उपलब्धि को प्रचारित कर रहे हैं।