कोटा को मिली देश के पहले हेरिटेज चंबल रिवर फ्रंट की सौगात, धारीवाल ने किया लोकार्पण

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चंबल रिवर फ्रंट का लोकार्पण मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को करना था, लेकिन अपरिहार्य कारणों से वे इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए तो उनके स्थान पर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने लोकार्पण किया।

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा।
Chambal River Front Lokarpan: राजस्थान के कोटा में मंगलवार को विश्व स्तरीय चंबल रिवर फ्रंट ( Chambal River Front) का प्रदेश के नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल (Shanti Dhariwal) ने एक भव्य समारोह में लोकार्पण किया। इस अवसर पर चंबल रिवर फ्रंट पर शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

चंबल रिवर फ्रंट के लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) को भाग लेना था, लेकिन अपरिहार्य कारणों से वे इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए तो उनके स्थान पर श्री धारीवाल ने चंबल रिवर फ्रंट का आज लोकार्पण किया। इस अवसर पर राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी सहित राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों सहित विभिन्न आयोगों के अध्यक्ष और जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। जिन्होंने बाद में पूरे रिवर फ्रंट क्षेत्र का अवलोकन भी किया।

चम्बल रिवर फ्रन्ट भारत में विकसित प्रथम हैरिटेज रिवर फ्रन्ट है, इससे कोटा में देशी-विदेशी पर्यटकों का आवागमन बढेगा। कोटा शहर में कोटा बैराज से नयापुरा पुलिया तक 2.75 किमी की लम्बाई में चम्बल नदी के दोनों तटों पर 1400 करोड़ की लागत से चम्बल रिवर फ्रन्ट विकसित किया गया है। इसके बनने से चम्बल नदी के किनारे बसी सभी बस्तियां बाढ़ से मुक्त हो चुकी है। रिवर फ्रन्ट के दोनों तटों पर 27 घाटों का निर्माण किया गया है।

इसी प्रकार, एक बगीचे में 10 अवतारों की मूर्ति लगाई गई है तथा बुलन्द दरवाजे से ऊंचा दरवाजा बनाया गया है। राजपूताना घाट पर राजस्थान के 9 क्षेत्रों की वास्तुकला व संस्कृति को दर्शाया गया है। मुकुट महल में 80 फ़ीट ऊँची छत है तथा यहाँ पर सिलिकॉन वैली भी है। ब्रह्मा घाट पर विश्व की सबसे बड़ी घण्टी बनाई गई है जिसकी आवाज 8 किमी दूर तक सुनी जा सकेगी। साहित्यिक घाट पर पुस्तक, प्रसिद्ध लेखकों की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई है।

समारोह में ये थे मौजूद
विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष वैभव गहलोत, मंत्री बीडी कल्ला, परसादी लाल मीणा, गोविंद मेघवाल, भरोसी लाल जाटव, रामलाल जाट, शकुंतला रावत, लालचंद कटारिया व उदयलाल आंजना सहित कई विधायक और बोर्ड के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पहुंचे हैं।

  • नयापुरा गार्डन एंट्री पॉइंट : यहां खूबसूरत बावड़ी और गार्डन बनाया गया है। ये रिवर फ्रंट का एंट्री पॉइंट है और पास में ही यहां पार्किंग डेवलप की गई है।
  • कनक महल-इसमें 6 टावर बनाए गए हैं। इस पर बने डोम्स पर गोल्डन कलर की टाइल्स लगाई गई हैं। यहां वाटर पार्क और रेस्टोरेंट बनाया गया है।
  • छोटी-बड़ी समाध और दशावतार- छोटा समाध में अरोमा गार्डन और फाउंटेन लगाया गया है। बड़ी समाध में वृंदावन (तुलसी वन) और भगवान विष्णु के दशावतार की स्थापना की गई है।
  • महात्मा गांधी सेतु- रामपुर घाट पर पर्यटकों के आने-जाने के लिए महात्मा गांधी सेतु का निर्माण भी किया गया है।

यह हैं वर्ल्ड रिकॉर्ड

  • नेहरू का सबसे बड़ा फेस मास्क: पं. जवाहरलाल नेहरू का देश का सबसे बड़ा फेस मास्क बनाया है। ऊंचाई 264.50 मीटर है। 5.50 करोड़ से गन मैटल से बना मुखौटा 25 टन वजनी है। पर्यटक मुखौटे की आंख में से रिवर फ्रंट देख सकेंगे।
  • दुनिया का सबसे बड़ा नंदी: पश्चिमी जोन में नंदी की प्रतिमा है, जो दुनियाभर में सबसे बड़ी है। ऊंचाई 6.5 मीटर, लंबाई 10.5 मीटर और चौड़ाई 4.5 मीटर है। जोधपुर स्टोन से ओडिसा के 200 कारीगरों ने इसे 6 महीने में तराशा है।
  • सबसे ऊंची चंबल माता की प्रतिमा: रिवर फ्रंट के बैराज गार्डन में देश की पहली सबसे ऊंची चंबल माता की मूर्ति लगाई गई है। ऊंचाई 42 मीटर है। इसे 20 मीटर पैडल स्टल पर लगाया है। वियतनाम मार्बल से जयपुर में बनी इस प्रतिमा का वजन 20,800 क्विंटल है। इसे 1500 पीस में यहां लाया गया।

यह हैं रिवर फ्रंट के घाट

  • सिंह घाट- बांसवाड़ा के मार्बल से 9 शेरों को लगाया गया है। इनका वजन लगभग 35 टन, ऊंचाई 15 फीट, लंबाई 11 फीट और चौड़ाई 6 फीट है। इसके बीच में रानी महल बनाया गया है।
  • उत्सव घाट-इसमें बैंक्वेट हॉल, खूबसूरत छतरियां, केस केड और स्टार फाउंटेन बनाए गए हैं।
  • साहित्य घाट- साहित्य घाट में बांसवाड़ा मार्बल से खूबसूरत विशाल खुली किताब और पुस्तक महल का निर्माण किया गया है। फसाड में ग्राउंड फ्लोर पर लाइब्रेरी और फर्स्ट फ्लोर पर कैफेटेरिया बनाया गया है।
  • रंगमंच घाट- इसमें एम्फीथियेटर में ग्रीन रूम का निर्माण किया गया है। घाटों को पियानो के की बोर्ड की तरह बनाया गया है।
  • फव्वारा घाट- इसमें खूबसूरत लगून मय सीढ़ियों का निर्माण किया गया है। यहां दुबई में बने लिनियर फांउटेन है, जहां फाउंटेन शो होगा। इसी एरिया के आस-पास फूड कोर्ट भी होगा।
  • हाड़ाैती घाट-फसाड में हाड़ौती की समृद्ध वास्तुशिल्प को अंकित किया गया है। इसमें बूंदी के तारागढ़ किले के मुख्य द्वार गणेश पाल का निर्माण किया गया है। हाड़ी रानी और पन्नाधाय की गनमेटल की आदमकद मूर्तियां लगाई गई हैं। इसके अलावा 84 खभों की छतरी का निर्माण भी किया गया है।
  • विश्व मैत्री घाट-इस घाट पर विशाल बैंक्विट हॉल का निर्माण किया गया है। इसमें 10 मीटर व्यास के ग्लोब का निर्माण किया गया है। इसमें वन वर्ल्ड वन ड्रीम और भारतीय संस्कृति ‘वसुधैव कुटुंबकम’ पर आधारित है।
  • जंतर-मंतर घाट- इस घाट पर ZODIAC टावर का निर्माण किया गया है। इसमें 12 राशि चक्र को दर्शाया गया है। इसमें जयपुर की BLUE POTTERY WORK और GLASS THIKRI WORK किया गया है। यहां आने वाले टूरिस्ट अपनी राशि के अनुसार भविष्य भी जान सकेंगे।
  • मरू घाट- इस घाट पर गनमेटल की ऊंटों की छह प्रतिमाएं लगाई गई हैं। घाट और फसाड वॉल के बीच जमीन पर टेंट सिटी विकसित किया जा रहा है।
  • मुकुट महल: मुकुट-महल में रिवर फ्रंट का मॉडल संग्रहालय बनाया गया है। इसके साथ यहां व्यू पॉइंट का निर्माण किया गया है।
  • गीता घाट-गीता घाट में वियतनाम मार्बल की पट्टिका में गीता के संपूर्ण 18 अध्याय के श्लोक लिखे गए हैं। ये 700 श्लोक अलग-अलग तीन भाषाओं (संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी) में लिखे गए हैं।
  • शांति घाट– इस घाट पर योग मुद्रा में इन्विजिबल स्कलप्चर लगाया गया है। एक हिस्से से इसे देखने पर ऐसा लगता है कि ये गायब हो गई है। इसमें मानव शरीर के सातों चक्रों को दर्शाया गया है।
  • वैदिक घाट-इस घाट पर पंच तत्वों का आभास करते हुए बाडोली शैली में पांच मंदिरों का निर्माण कराया गया है।
  • रोशन घाट: इस घाट में इस्लामिक वास्तुकला को दर्शाया गया है। इसके बीच में जन्नती दरवाजे का निर्माण किया गया है और जलती हुई 9 मशालें बनाई गई हैं।
  • शौर्य घाट- यह पश्चिमी छोर का एंट्री पॉइंट है। । इस चौक में पर्यटकों के लिए पार्किंग, इन्फॉर्मेशन सेंटर, रेस्टोरेंट आदि की व्यवस्था की गई है।
  • राजपूताना घाट- इस घाट में राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों जैसे मेवाड़, मारवाड़, ढूंढाड़, वागड़, हाड़ौती क्षेत्र की विभिन्न इमारत के मॉडल बनाए गए हैं। जैसे पोद्दार हवेली, जग मंदिर, जगनिवास,गणगौरी घाट, हवामहल, गणेश पोल, सरगासूली, विजय स्तंभ, ब्रह्मा मंदिर, रणकपुर, पटवा हवेली का निर्माण किया गया है।