कोचिंग वालों की करतूतों का कलंक कोटा के माथे क्यों?

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-कृष्ण बलदेव हाडा-
Coaching Student Suicide Case: राजस्थान में कोटा के जवाहर नगर थाना क्षेत्र में सोमवार को एक और कोचिंग छात्र ने अपने गले में फांसी का फंदा लगाकर अपनी ईहलीला समाप्त कर ली। पिछले साढे छह महीनों में कोटा में किसी को कोचिंग छात्र के आत्महत्या करने या संदिग्ध हालत में मौत होने की यह 17वीं वारदात है और खास बात यह कि इनमें से अधिकांश छात्र कोटा के एक ही कोचिंग संस्थान एलन के किसी न किसी कोचिंग पाठ्यक्रम से जुड़े हुए हैं।

कोटा में एलन में ऐसा संस्थान है जहां सबसे ज्यादा कोचिंग छात्रों को उसकी कोचिंग संस्थानों में भरा जाता है और यह दावा किया जाता है कि उनके सबसे अधिक छात्र अच्छे परिणामों के साथ विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं में उत्तीर्ण होते हैं, लेकिन यह कभी नहीं बताया जाता कि यह उनके यहां के भीड़ भरे कोचिंग संस्थानों में महज कितने से प्रतिशत होते है?

इस कोचिंग संस्थान के मोहक विज्ञापनों के माया जाल में फंसकर कोटा पहुंचने वाले अभिभावकों से मोटी फीस वसूल कर भारी तादाद में छात्रों को भर्ती करने वाले इस कोचिंग संस्थान में महज ऎसे कुछ ही सर्वश्रेष्ठ छात्रों का चयन करके उनकी अलग से अध्ययन और उनके अलग से अध्यापन की व्यवस्था की जाती है जिसके चलते यहां के छात्र इन प्रवेश परीक्षाओं में उत्तीर्ण होते हैं।

उसके बाद अपने आर्थिक संसाधनों के दम पर मीडिया समूहों को मोटे विज्ञापन देकर अपनी उपलब्धियों को विज्ञापित करते हैं जिसकी एवज में यह मीडिया समूह साल के बकाया दिनों को इन कोचिंग संस्थानों का गुणगान करने में व्यतीत करते हैं, जिन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं होता कि इन छात्रों के आत्महत्या करने के कारण कोटा में कोचिंग करने आने वाले अन्य छात्रों की मनोदशा पर कितना प्रतिकूल असर पड़ रहा है?

कोटा के राजीव गांधी नगर में एक हॉस्टल में रहने वाले जालौर के छात्र पुष्पेंद्र (17) ने सोमवार की देर शाम अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी का फंदा लगाकर जान दे दी। खास बात यह कि यह छात्र अपनी स्वेच्छा से कोटा आया था। पिछले एक सप्ताह के अपने कोटा प्रवास के दौरान उसने कभी किसी बात की शिकायत नहीं की, वह खुश था। उसने सोमवार की सुबह ही अपनी मम्मी से बात भी की थी लेकिन और उसके बाद दिन भर की दिनचर्या भी उसकी सामान्य थी।

लेकिन उसके बाद ऎसा अचानक क्या हुआ कि वह फांसी का फंदा लगाकर लटक गया। इस बात से तो खुद उसके परिवारजन भी हैरान, परेशान, दुखी हैं और पत्रकारों के सवाल पूछे जाने पर उन्हीं से सवाल कर रहे हैं कि आखिर कोटा में ऐसा हो क्या रहा है, जिसकी वजह से हंसते-खेलते आने वाले कोचिंग छात्र यहां आकर मौत को अपने गले लगा रहे हैं। क्या खामी यहां के कोचिंग सिस्टम में है या फिर यहां की प्रशासनिक व्यवस्थाओं में?

(यह लेख वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण बलदेव हाडा की फेसबुक वाल से लिया गया है।)