कॉलेजों में प्लेसमेंट घटा तो एजुकेशन लोन एनपीए 3.50 % बढ़ा

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नई दिल्ली। देवेंद्र विश्वकर्मा ने वर्ष 2010 में बैंक ऑफ इंडिया से इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए लोन लिया था। बैंक से देवेंद्र को तीन लाख 62 हजार 188 रुपए का एजुकेशन लोन मिल भी गया। मध्यप्रदेश के रहने वाले देवेंद्र ने इंदौर के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई की। देवेंद्र पढ़ाई में ठीक था, लेकिन उसका प्लेसमेंट नहीं हो सका। तमाम जतन के बाद भी उसे नौकरी नहीं मिली।

पढ़ाई पूरी होने के एक साल बाद लोन की किस्त शुरू हो गई। लगातार तीन किस्त न चुका पाने के कारण बैंक ने उसे डिफॉल्टर घोषित कर दिया। डिफॉल्टर घोषित होने के कारण अब देवेंद्र बैंक से जीवन भर किसी भी तरह का लोन नहीं ले पाएगा। उसे किसी सरकारी योजना का लाभ भी नहीं मिलेगा।

यह तो एक बानगी है, देश में ऐसे कई छात्र हैं, जो जॉब न लगने के कारण एजुकेशन लोन नहीं चुका पा रहे हैं। यही कारण है कि पिछले तीन साल में एजुकेशन लोन का एनपीए (बैड लोन) बढ़कर करीब नौ प्रतिशत हो गया है। यह 6 हजार 434 करोड़ रुपए हो गया है।

तीन हजार से ज्यादा इंजीनियरिंग और एमबीए कॉलेजों को एफिलिएशन देने वाली संस्था ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) के मुताबिक पिछले तीन साल में औसतन करीब 55 से 60 प्रतिशत (लगभग 6 लाख) इंजीनियरिंग और एमबीए के छात्रों का प्लेसमेंट नहीं हो पाया है।

हालांकि इस का कोई आंकड़ा नहीं है कि जितने छात्रों का प्लेसमेंट नहीं हुआ, उनमें से कितने ऐसे छात्र हैं जिन्होंने एजुकेशन लोन लिया है। एआईसीटीई और शिक्षा से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि एजुकेशन लोन लेने वाले करीब एक तिहाई छात्र ऐसे होते हैं जिनका प्लेसमेंट नहीं हो पाता है।

इस मामले में एआईसीटीई के सलाहकार राजीव का कहना है कि प्लेसमेंट के लिए आने वाली कंपनियों की जरूरतें हर साल कुछ-कुछ बढ़ जाती हैं। इसलिए हमने उनकी जरूरत को ध्यान में रखते हुए छात्रों के कोर्स में बदलाव किया है।

उनकी इंटर्नशिप करने का तरीका भी बदला है। ताकि पढ़ाई पूरी होते-होते उसका प्लेसमेंट हो जाए। या ऑफ कैंपस भी उसकी नौकरी लग सके। एआईसीटीई की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन साल में बीटेक छात्रों का सिर्फ एक प्रतिशत की दर से प्लेसमेंट बढ़ा है।

कितना ज्यादा बंट रहा है लोन?
क्रेडिट ब्यूरो सीआरआईएफ हाईमार्क के मुताबिक 2018 में 82 हजार करोड़ रुपए का शिक्षा ऋण बांटा गया। यह पिछले साल की अपेक्षा 9.25% ज्यादा था।

प्रति छात्र कितना बांट रहे हैं?
2018 में प्रति छात्र को दिए जाने वाले एजुकेशन लोन की औसत राशि 9.6 लाख रु. पहुंच गई। जो पिछले साल 6.8 लाख रुपए थी।

कौन से बैंक ज्यादा लोन दे रहे हैं?
पिछले वित्त वर्ष में कुल बांटे गए एजुकेशन लोन में 83 प्रतिशत हिस्सा सरकारी बैंकों का था। हालांकि, इसके पिछले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 90 प्रतिशत था।

ज्यादातर लोन कितने बड़े हैं?
पिछले 5 साल में 20 लाख से ज्यादा फीस के लिए लोन लेने वाले छात्रों की संख्या में छह गुना इजाफा हुआ है। इसके अलावा एजुकेशन लोन के सेक्टर में आधे से ज्यादा लोन 4 लाख रुपये से कम के हैं। एजुकेशन लोन कैटेगरी का 85 पर्सेंट एनपीए इसी श्रेणी का है।
 
टॉप-5 बैंकों का एनपीए
वर्ष 2017 में सबसे ज्यादा इंडियन बैंक का एजुकेशन लोन का एनपीए 671 करोड़ रुपए था। इसके अलावा, एसबीआई का 538 करोड़, पीएनबी का 478 करोड़, इंडियन ओवरसीज बैंक का 384 करोड़ और यूको बैंक का 346 करोड़ रुपए था।

कहीं किसान ऋण की तरह न बन जाए एजुकेशन लोन
2010-11 में जहां एजुकेशन लोन प्रति छात्र 2.5 लाख रुपए था वहीं वर्ष 2016-17 में यह बढ़कर 6.77 लाख रुपए हो गया है। प्रति किसान 50 हजार रुपए का कर्ज है, जो प्रति छात्र से 13 गुना कम है। ऐसे में कहीं इसे भी माफ करने की स्थिति न आ जाए। क्योंकि एजुकेशन एनपीए लगातार बढ़ रहा है।