केडीए के खिलाफ जन जागृति अभियान शुरू करेंगे किसान संगठन

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कोटा। कोटा विकास प्राधिकरण (Kota Development Authority) बिल को पास के जाने के खिलाफ हाडोती के किसान संगठनों ने व्यापक रूपरेखा तय की है। पर्यावरण संस्थाओं और जन चेतना मंच ने भी विकास प्राधिकरण से होने वाले नुकसान को लेकर राज्यपाल से अनुरोध किया है कि व्यापक जन हित में इस बिल को वापस लिया जाए।

हाडोती किसान यूनियन के महामंत्री दशरथ कुमार, सलाहकार अजय चतुर्वेदी, अरविंद भूतिया, संतोख सिंह, मुरली मीणा, बृजेश विजयवर्गीय, शशि गौतम, यज्ञदत्त हाड़ा आदि ने बताया कि ग्राम स्वराज सम्मेलन के बाद आयोजित बैठक में कोटा व बूंदी के किसान प्रतिनिधियों ने तय किया कि इस संवेदनशील मुद्दे पर सभी को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर व्यापक हित में आवाज को बुलंद बनाने की जरूरत है।

विधानसभा ने बिना किसी चर्चा के चोर दरवाजे से इसे पारित किया है। जिससे बूंदी, कोटा के किसान, पर्यावरण प्रेमी, नागरिकों ने चिंता जताई है। सांगोद के विधायक भरत सिंह, पीपल्दा के विधायक रामनारायण मीणा, केशवरायपाटन की विधायक चंद्रकांता मेघवाल, बूंदी के अशोक डोगरा, युवा नेता रुपेश शर्मा,,रामगंजमंडी के विधायक मदन दिलावर समेत एक कार्यक्रम में केशवरायपाटन में आए सांसद किसान नेता विजय पाल सिंह तोमर ने भी इस बिल को अनावश्यक शहरीकरण को बढ़ाने वाला बताया।

जबकि गांव, खेती को सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए, जिससे ग्रामीण समाज का शहरों की ओर पलायन बंद हो। किसानी व खेतों और पर्यावरण को बर्बाद होने से बचाया जाए। शशि गौतम ने बताया कि राज्यपाल के नाम संभागीय आयुक्त को ज्ञापन देकर बिल वापस लेने की मांग की गई है।

जयपुर में राज्यपाल से मिल कर इसी के साथ व्यापक जन जागरण अभियान को भी शुरू करेगी। समान विचारों वाले किसान संगठनों के साथ समन्वय बनाते हुए सरकार को मजबूर करेंगे कि इस काले कानून को वापस ले।

यूनियन के महामंत्री दशरथ कुमार ने बताया कि कोटा विकास प्राधिकरण बिल किसानों से जमीन छीनने का बहुत बड़ा षड्यंत्र है। इसके खिलाफ बूंदी और कोटा के किसान एकजुट हो रहे हैं। कई माननीय जनप्रतिनिधियों व राष्ट्रीय किसान नेताओं ने इसे किसानों के लिए खतरनाक बताया है।

कोटा विकास प्राधिकरण अनियोजित शहरीकरण को बढ़ावा देगा और खेत खलियान तालाब, नदी, पहाड़, मंदिर आदि की जमीनों को समाप्त कर सीमेंट कंक्रीट के ढांचे खड़ा कर देगा एवं खेती की बेशकीमती जमीनों को किसानों से सस्ते में खरीदवाकर उद्योगपतियों को महंगे दामों में बेच दी जाएगी।

किसान छोटी सी राशि के लालच में अपनी खेती की जमीन को भू माफियाओं के हवाले कर देगा। किसान नेता ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को निजी स्वार्थ छोड़कर किसान हितों और व्यापक दृष्टिकोण से किसानों के साथ खड़ा होने की जरूरत है। किसान संगठनों ने तय किया है कि कोटा में आगामी समय में आने वाले कैबिनेट के सभी सदस्यों को कोटा विकास प्राधिकरण को लेकर विरोध का सामना करना पड़ेगा।