एम्स एवं जिप्मेर एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश अब सिर्फ नीट से

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कोटा। नेशनल मेडिकल कमीशन की स्थापना के साथ ही वर्ष- 2020 में देश के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी मेडिकल संस्थानों में एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश के लिए एकमात्र परीक्षा नीट-2020 का आयोजन होगा। देश के 15 एम्स संस्थानों की 1205 एमबीबीएस सीटों के लिए आयोजित की जाने वाली “एम्स- एमबीबीएस” तथा पुडुचेरी एवं कराईकल कैंपस की कुल 200 एमबीबीएस सीटों के लिए आयोजित की जाने वाली “जिप्मेर” परीक्षाएं 2020 में आयोजित नहीं की जाएगी।

कैरियर पॉइंट के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट देव शर्मा ने बताया कि विद्यार्थियों एवं अभिभावकों के लिए निश्चित तौर पर यह शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक दृष्टि से एक बड़ा कदम है। देव शर्मा ने बताया कि संपूर्ण देश में एक ही मेडिकल प्रवेश परीक्षा के आयोजन से विद्यार्थियों की शैक्षणिक योग्यता मापने मैं एकरूपता आएगी तथा अभिभावक विभिन्न परीक्षाओं के ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरने की प्रक्रिया तथा अलग-अलग परीक्षाओं के लिए अलग-अलग परीक्षा केंद्रों पर आने-जाने की दौड़ भाग से बचेंगे। निश्चित तौर पर समय एवं पैसे दोनों की बचत होगी।

क्या बदलेगा नीट-2020 का परीक्षा पैटर्न
नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा पृथक-पृथक आयोजित की जाने वाली नीट, एम्स तथा जिप्मेर प्रवेश परीक्षाओं के स्थान पर वर्ष-2020 में एकमात्र “नीट” के आयोजन का निर्णय तो ले लिया है किंतु क्या एम्स एवं जिप्मेर के परीक्षा पैटर्न के कुछ अंशों को नीट-2020 में शामिल कर “नीट प्रवेश परीक्षा पैटर्न” में कोई परिवर्तन किया जाएगा जो कि निश्चित तौर पर आवश्यक है।

मोटे तौर पर देखा जाए तो एम्स में दो प्रकार के प्रश्न पूछें हैं,वस्तुनिष्ठ तथा असर्शन एवं रीजन। एप्टिट्यूड एवं सामान्य ज्ञान से संबंधित प्रश्न भी एम्स में पूछे जाते हैं। एम्स का आयोजन हिंदी एवं अंग्रेजी माध्यमों में किया जाता है, जिप्मेर का आयोजन तो सिर्फ अंग्रेजी भाषा में किया जाता है। प्रश्नों की संख्या की दृष्टि से देखा जाए तो एम्स एवं जिप्मेर दोनों में ही 200 प्रश्न पूछे जाते हैं। तथा परीक्षा अंतराल 3:30 घंटे का होता है।

यदि नीट की बात की जाए तो निश्चित तौर पर यहां सिर्फ एक ही प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं सिर्फ वस्तुनिष्ठ प्रश्न। प्रश्नों की संख्या 180 होती है तथा परीक्षा अंतराल 3 घंटे का होता है। नीट का आयोजन अंग्रेजी हिंदी एवं उर्दू सहित कुल 11 भाषाओं में किया जाता है। देव शर्मा ने बताया कि निश्चित तौर पर सामंजस्य स्थापित करने के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को जोकि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट का आयोजन करती है,नीट-2020 के आयोजन हेतु परीक्षा पैटर्न के बारे में निश्चित तौर पर सोचना होगा।

एजेंसी को प्रश्नों की संख्या, प्रश्नों के प्रकार, प्रश्न पत्र के माध्यम सभी के बारे में तार्किक निर्णय लेने होंगे। देव शर्मा ने बताया कि यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि उपरोक्त परिवर्तन से सबसे अधिक फायदा ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों को होगा,क्योंकि उन्हें जिप्मेर की अंग्रेजी माध्यम की बाध्यता से मुक्ति मिलेगी। चूकीं ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों में ऑनलाइन परीक्षा से थोड़ा भय रहता है अतः उन्हें ऑनलाइन आयोजित की जाने वाली एम्स एवं जिप्मेर दोनों ही परीक्षाओं से मुक्ति मिलेगी।