उद्यमियों को अब 50 हजार वर्गमीटर तक पर्यावरण क्लीयरेंस की जरूरत नहीं

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नई दिल्ली। बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था में सुस्ती के आरोपों से घिरी मोदी सरकार के एक कदम पर पर्यावरणविद बिफर गए हैं। मोदी सरकार ने बिल्डरों के प्रोजेक्ट्स, खान और नई औद्योगिक यूनिट शुरू के लिए पर्यावरण छूट बढ़ा दी है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने नई अधिसूचना जारी कर दी है।

इसके तहत अब 20 हजार से 50 हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बनाए जा रहे निर्माण के लिए पर्यावरण की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। अभी तक यह छूट 20 हजार वर्गमीटर तक के प्रोजेक्ट्स के लिए थी। हालांकि 50 हजार वर्ग मीटर से ज्यादा के प्रोजेक्ट्स के लिए अभी भी पर्यावरण प्रभाव का अध्ययन कराना जरूरी होगा।

नहीं जाना होगा पर्यावरण क्लीयरेंस अथॉरिटी के पास
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत बनाए गए नियमों में जिला स्तर, राज्य स्तर और केंद्र सरकार के स्तर पर इन्वार्यनमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी का गठन वर्ष 2006-07 में किया गया है। इसके तहत हर बड़ी परियोजनाओं की मंजूरी से पहले पर्यावरण पर पड़ने वाले असर का अध्ययन कराना होता है।

साथ ही सामाजिक, आर्थिक असर भी इसमें शामिल करना होता था। यही नहीं, ज्यादा बड़े प्रोजेक्ट्स के मामले में लोगों की राय भी ली जाती थी। ऐसे ही कई स्तरों की जांच से गुजरने के बाद ही पर्यावरण अनुमति मिल पाती थी। इसमें होने वाली देरी पर उद्योगपति खफा थे। केंद्र और विभिन्न राज्य सरकार की अथारिटियों के पास करीब 3 हजार मामले लंबित हैं।

अब यह होगा
नए नोटिफिकेशन के बाद जिला स्तर के अधिकारियों को यह अधिकार होगा कि वे पांच हेक्टेयर तक की जमीन पर बालू खुदाई के लिए ग्रीन क्लीयरेंस देते समय जन सुनवाई से छूट दे सकें।