ई-चालान की अनिवार्यता को कम करने का कोई प्रस्ताव नहीं, सरकार ने किया स्पष्ट

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नई दिल्ली। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने सोमवार को कहा कि सरकार के पास ई-चालान की अनिवार्यता को एक जनवरी से कम करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। वर्तमान में 10 करोड़ रुपये और उससे अधिक के टर्नओवर वाले व्यवसायों को सभी B2B लेन-देन के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक इनवॉइस जनरेट करना आवश्यक है।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने अपने बयान में कहा है कि 01.01.2023 से इस सीमा को घटाकर 5 करोड़ रुपये करने का सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं है, क्योंकि अभी तक जीएसटी परिषद द्वारा ऐसी कोई सिफारिश नहीं की गई है।

नहीं घटेगी ई-चालान की सीमा: कई मीडिया रिपोर्ट में इस बात का दावा किया जा रहा था कि जीएसटी परिषद ने 1 जनवरी, 2023 से ई-चालान की पीढ़ी के लिए सीमा को घटाकर 5 करोड़ रुपये करने की सिफारिश की है, लेकिन सरकार ने अभी तक इस मामले पर अधिसूचना जारी नहीं की है।

क्या हैं वर्तमान नियम: गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) कानून के तहत, 1 अक्टूबर, 2020 से 500 करोड़ रुपये से अधिक के टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए बिजनेस-टू-बिजनेस (B2B) लेन-देन के लिए ई-चालान अनिवार्य कर दिया गया है। बाद में इसका विस्तार करते हुए उन लोगों को भी शामिल किया गया, जिनके पास 1 जनवरी, 2021 से 100 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार था। 1 अप्रैल, 2021 से इसमें एक बार फिर संशोधन किया गया और 50 करोड़ रुपये से अधिक के टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए B2B ई-चालान अनिवार्य कर दिया गया था। 1 अप्रैल, 2022 से इस सीमा को घटाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया गया था। 1 अक्टूबर, 2022 से यह घटाकर 10 करोड़ कर दिया गया।