आर्थिक समीक्षा / सब्जियों, दालों के दामों में तेजी से बढ़ी खुदरा महंगाई

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नयी दिल्ली। आर्थिक समीक्षा के मुताबिक 2014 से उपभोक्ता कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति में नरमी देखने को मिल रही थी, हालांकि अब खाद्य पदार्थों और खासतौर से सब्जियों की कीमतों में “तेजी” का रुख है। संसद में शुक्रवार को पेश की गई समीक्षा के मुताबिक ऐसा पैदावार में अवरोध तथा पिछले वर्षों के दौरान महंगाई कम रहने के चलते बने ‘कम आधार प्रभाव’ के कारण है।

समीक्षा में आयातित कृषि-बागवानी उत्पादों की कीमतों में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष के तहत खरीद जैसे उपायों की सिफारिश की गई है, ताकि किसानों को सुरक्षा मुहैया कराई जा सके। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक समीक्षा 2019-20 को सदन के पटल पर रखा, जिसमें कहा गया है कि मु्द्रास्फीति में 2014 से नरमी देखने को मिल रही थी, हालांकि हाल में इसमें “तेजी” आई है। इसके मुताबिक 2018-19 में खुदरा मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी “मिश्रित समूह” की वस्तुओं के चलते हुई, जबकि चालू वित्त वर्ष में खाद्य और पेय पदार्थों का इसमें सर्वाधिक योगदान है।

समीक्षा में पाया गया कि इस दौरान दलहन और सब्जियों में सबसे अधिक महंगाई देखने को मिली। ऐसा “निम्न आधार प्रभाव और असमय बारिश के चलते उत्पादन में अवरोध के कारण हुआ। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति में चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-दिसंबर के दौरान 4.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान ये आंकड़ा 3.7 प्रतिशत था। दूसरी ओर समीक्षाधीन अवधि के दौरान थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूआईपी) पर आधारित महंगाई 1.5 प्रतिशत रह गई, जो एक साल पहले की समान अवधि में 4.7 प्रतिशत थी। समीक्षा के मुताबिक 2015-16 और 2018-19 के दौरान डब्ल्यूआईपी मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी देखने को मिली।