अपनी नाकामियां छुपाने को लगाया मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने ब्लैकमेल का आरोप

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कोटा। मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रशासन किस तरह अपनी नाकामियों को छुपाने की कोशिश करता है, इसका एक नमूना तब सामने आया तब अस्पताल में कोरोना के मरीज ने इलाज के अभाव में तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। इसका वीडियो वायरल होने पर उल्टा अस्पताल प्रशासन ने वीडियो बनाने वाले पर ब्लैकमेल का आरोप लगाकर झूठा फ़साने की कोशिश की। जबकि वह खुद कोरोना का मरीज है।

कोविड अस्पताल में रोगी के तड़पकर मरने की घटना का वीडियो वायरल होने के मामले में छावनी निवासी नरेन्द्र मेहरा ने बताया कि वह खुद कोविड संदिग्ध में भर्ती थे। 23 मई को उन्हें चिकित्सा टीम 10 बजे अस्पताल लेकर गई। और पीछे की साइट पर कोविड़ गेट पर छोड़ दिया। आधा घंटे तक रोड पर खड़ा रखा। उनके साथ उनका 18 माह का बच्चा, पत्नी व बेटी भी थी।

उसने स्टाफ से कहा था कि एडमिशन बना दो, वार्ड में शिफ्ट करा दो, लेकिन तीन घंटे इंतजार के बाद उनका एडमिशन पर्चा बना। उसके बाद कोरोना संदिग्ध वार्ड में लेकर गए। वहां हम कूलर के पास बेडशीट बिछाकर लेट गए। उस वार्ड में मृतक लालचंद भी था। उसकी रात 8.30 बजे सांस में तकलीफ हुई। उसने स्टाफ को आवाज लगाई, लेकिन सुनी नहीं। लालचंद ने उसे स्टाफ को बुलाने के लिए भेजा, उसने स्टाफ को आवाज लगाई, फिर भी स्टाफ नहीं आया।

मेहरा ने बताया कि रात 1 बजे लालचंद की तबीयत ज्यादा खराब हो गई। मुंह में झाग आने लगे। पलंग पर चक्कर आकर गिर गया। उसने उसे संभाला नहीं, क्योंकि लालचंद की कोविड की जांच हुई थी। उसके पॉजिटिव आने के डर से उसके पास नहीं गया। उस समय उसने वीडियो बना लिया। उसके बाद फिर नर्सिंग स्टाफ के पास गया। उसका जवाब था कि मरीज तो डॉक्टर ही देखेगा। उसने रात 2.30 बजे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को भेजा।

उसने उसे बेड पर लिटाया। नर्सिंग स्टाफ ने लैंडलाइन पर फोन किया, लेकिन डॉक्टर का फोन नहीं लगा। डॉक्टर को मोबाइल पर कॉल किया। जब डॉक्टर आए तो उन्होंने उसे मृत घोषित कर दिया। मौत होने तक तड़पते रोगी को देखने कोई नहीं पहुंचा।

मेरी नौकरी खतरे में, आप लिखकर दो
नरेन्द्र ने बताया कि जब वह डिस्चार्ज होने लगा तो नर्सिंग स्टाफ उसके पास आया और बोला, मेरी नौकरी खतरे में है, आप लिखकर दे दो। वह खुद उसे पहले अधीक्षक कक्ष की तरफ लेकर गया, उसके चेम्बर में लेकर उसने लिखित में देने से मना कर दिया।

मैंने कोई पैसों की मांग नहीं की
नरेन्द्र ने बताया कि वार्ड में उनके साथ उनकी पत्नी 17 साल की बेटी भी थी। उन्होंने खुद घटना आंखों देखी है। उनके बयान लिए जा सकते है। यदि मुझे स्टाफ से पैसे लेने होते तो मैं खुद उसे फोन करता। उससे सम्पर्क करता, लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं किया। पैसों के मामलों में मुझे गलत फंसाया गया।