अनुदानित शिक्षण संस्थाओं में समायोजित शिक्षकों को पेंशन के खिलाफ याचिका

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जयपुर। राजस्थान स्वेच्छा ग्रामीण शिक्षा सेवा नियम 2010 के तहत राज्य सरकार में समायोजित होने वाले अनुदानित शिक्षण संस्थाओं के कर्मचारियों को राजस्थान सिविल सेवा पेंशन नियम 1996 के तहत पेंशन परिलाभ देने के राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले के विरूद्ध राज्य सरकार ने रिव्यू पिटीशन दायर की है।

राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश संगीत लोढ़ा व मनोज कुमार गर्ग की खंडपीठ ने राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी वेलफेयर सोसायटी सहित विभिन्न रेस्पोडेंट को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 27 मई को होगी।

याचिकाकर्ता राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष सरदारसिंह बुगालिया व अन्य की ओर से याचिका दायर कर इस अंडरटेकिंग को चुनौती दी थी, कि राजस्थान स्वेच्छा ग्रामीण शिक्षा सेवा नियम 2010 के तहत राज्य सरकार में समायोजित होने वाले अनुदानित शिक्षण संस्थाओं के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति तक पदोन्नति के लिए कोई क्लेम नहीं करेगा और राजस्थान सिविल सेवा (अंशदान पेंशन) नियम 2005 के प्रावधानों से शासित होंगे।

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने याचिका को 1 फरवरी 2018 को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए कोर्ट ने अधिनिर्णित किया था, कि अनुदानित संस्थाओं के कर्मचारियों, जो कि राजस्थान सिविल सेवा (अंशदायी पेंशन) नियम 2005 से पहले के नियुक्त थे, को पेंशन नियम 1996 से वंचित रखना गैर संवैधानिक है।

यह भी निर्णित किया गया कि सभी कर्मचारी जो अनुदानित पदों पर राजस्थान सिविल सेवा (अंशदायी पेंशन) नियम 2005 से पहले कार्यरत थे एवं 2010 के नियमों में समायोजित हुए, उन पर राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1996 प्रभावी होंगे और इन कर्मचारियों द्वारा समायोजन के पश्चात् प्रोविडेंट फंड की राशि जो उनके द्वारा उठाई गई थी, को दो माह के अंदर 6 प्रतिशत ब्याज के साथ राज्य सरकार में जमा करानी होगी अन्यथा वे कर्मचारी पेंशन नियम 1996 के परिलाभ पाने के अधिकारी नहीं होंगे।

राज्य सरकार ने 1 फरवरी 2018 को दिए गए फैसले के विरूद्ध रिव्यू पिटीशन दायर की है। अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह व अधिवक्ता कुलदीप माथुर ने कहा, कि इस फैसले से महज एक सप्ताह पहले प्रेम प्रकाश बनाम राज्य सरकार के मामले में हाईकोर्ट की जयपुर बैंच ने पेंशन देने से इनकार कर दिया था।

हालांकि यह फैसला इस कोर्ट के ध्यान में नहीं लाया जा सका था। उन्होंने अन्य तर्क देते हुए फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। खंडपठ ने रिव्यू पिटीशन को विचारार्थ स्वीकार करते हुए समायोजित शिक्षाकर्मी वेलफेयर समिति व अन्य रेस्पोडेंट को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। इस मामले में अगली सुनवाई 27 मई को होगी।