वेज बिल को कैबिनेट की मंजूरी, 4 करोड़ श्रमिकों को होगा फायदा

986

न्यूनतम वेतन से जुड़े प्रावधान हर महीने 18,000 रुपए तक सैलरी पाने वालों पर लागू होते हैं, लेकिन अब ये प्रावधान ज्यादा सैलरी वालों के लिए भी होंगे।

नई दिल्ली। कैबिनेट ने कर्मचारियों की सैलरी से जुड़े वेज बिल को कैबिनेट की मंजूरी, 4 करोड़ श्रमिकों को होगा फायदा वेतन से जुड़े चार पुराने कानूनों को शामिल किया गया है। इसे मानसून सत्र में ही पेश किए जाने की उम्मीद है। यह सत्र 11 अगस्त तक चलेगा।

सूत्रों ने बताया कि नए कानून से केंद्र सरकार को पूरे देश में न्यूनतम वेतन तय करने का अधिकार मिल जाएगा। अभी न्यूनतम वेतन से जुड़े प्रावधान हर महीने 18,000 रुपए तक सैलरी पाने वालों पर लागू होते हैं, लेकिन अब ये प्रावधान ज्यादा सैलरी वालों के लिए भी होंगे।

इससे पहले दोपहर में राज्यसभा में श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने बताया था कि राष्ट्रीय श्रम आयोग ने सभी श्रम कानूनों को मिलाकर चार या पांच कानून बनाने की सिफारिश की है। विशेषज्ञों के अनुसार अभी अलग-अलग कानूनों में ‘वेतन’ की अलग परिभाषाएं हैं। एक परिभाषा होने से कंपनियों को आसानी होगी। इससे जुड़े रिटर्न की संख्या भी घटकर एक रह जाएगी।

केंद्र द्वारा तय न्यूनतम वेतन को बढ़ा सकते हैं राज्य
केंद्र को न्यूनतम वेतन तय करने का अधिकार होगा। राज्य उसे मानने को बाध्य होंगे। राज्य ज्यादा वेतन भी तय कर सकते हैं। हर दो साल में इसमें संशोधन होगा। न्यूनतम वेतन में डीए भी शामिल है तो संशोधन 5 साल में हो सकता है। यह इंडस्ट्री के हर श्रेणी के कर्मचारियों के लिए होगा। अभी न्यूनतम वेतन का नियम 51 शिड्यूल्ड इंडस्ट्री पर लागू होता है।

वेबसाइट पर बतानी पड़ेगी पैकेज्ड फूड प्रोडक्ट की एक्सपायरी डेट
ईकॉमर्स कंपनियों को वेबसाइट पर पैकेज्ड फूड प्रोडक्ट की एमआरपी और एक्सपायरी डेट बतानी होगी। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने पैकेज्ड कमोडिटी रूल्स 2011 में संशोधन किया है। अभी वेबसाइट पर यह जानकारी नहीं होती है।

मंत्रालय को शिकायत मिली थी कि कंपनियां नजदीक एक्सपायरी डेट वाले पैकेट की सप्लाई कर रही हैं। हाल के दिनों में फूड प्रोडक्ट की ऑनलाइन बिक्री काफी बढ़ी है। लेकिन बहुत से मामलों में देखा जाता है कि ग्राहक को जिस प्रोडक्ट की डिलीवरी होती है, उसकी एक्सपायरी में दो से चार हफ्ते ही बचे होते हैं।

इससे ग्राहक उसका पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। एक सर्वे में 96% लोगों ने कहा था कि ईकॉमर्स साइट पर मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी की तारीख होनी चाहिए।