GST कटौती का फायदा ना देने पर पिज्जा हट समेत कई रेस्ट्रॉन्ट को नोटिस

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नई दिल्ली। गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) रेट में कटौती का फायदा ग्राहकों को न देने के लिए क्विक सर्विस रेस्ट्रॉन्ट चेन्स सबवे पिज्जा हट और केएफसी की नैशनल एंटी-प्रॉफिटीयरिंग अथॉरिटी (एनएपीए) ने जांच शुरू की है। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि एनएपीए ने इन रेस्ट्रॉन्ट चेन्स से टैक्स में कमी का फायदा कुछ ही प्रॉडक्ट्स पर देने को लेकर सवाल पूछा है।

जीएसटी काउंसिल ने नवंबर 2017 में रेस्ट्रॉन्ट्स पर रेट्स में कटौती की थी। एयर-कंडीशंड रेस्ट्रॉन्ट्स पर जीएसटी 18 पर्सेंट से घटाकर 5 पर्सेंट और नॉन-एयरकंडीशंड पर 12 पर्सेंट किया गया था। बहुत सी रेस्ट्रॉन्ट कंपनियों ने इसके बाद मेन्यू में सभी आइटम्स पर प्राइसेज नहीं घटाए थे क्योंकि जीएसटी में कमी के साथ इनपुट टैक्स क्रेडिट वापस ले लिया गया था। रेस्ट्रॉन्ट कंपनियों का कहना है कि इससे उनके प्रॉफिट पर असर पड़ा है और प्राइस में कटौती करने की उनकी क्षमता कम हो गई है।

पिज्जा हट की मालिक यम रेस्ट्रॉन्ट्स और सबवे ने एनएपीए की ओर से प्रश्न पूछे जाने की पुष्टि की है। पिज्जा हट और केएफसी की मालिक यम इंडिया के प्रवक्ता ने ईटी को ईमेल से दिए जवाब में कहा, ‘हम किसी भी प्रश्न को लेकर अथॉरिटीज के साथ पूरी तरह सहयोग करेंगे। हम अथॉरिटीज की ओर से अधिक जानकारी मिलने का इंतजार कर रहे हैं।’ सबवे के प्रवक्ता का कहना था, ‘सबवे इस जांच में एनएपीए के साथ पूरी तरह सहयोग कर रही है।’ सबवे देश में 630 रेस्ट्रॉन्ट ऑपरेट करती है।

जुबिलेंट फूडवर्क्स के मालिकाना हक वाली डॉमिनोज पिज्जा की भी इसी तरह की जांच चल रही है। रेस्ट्रॉन्ट चेन्स 30 रुपये से अधिक की एंट्री-लेवल प्राइसिंग के साथ वैल्यू बढ़ा रही हैं। इन चेन्स ने कुछ ही प्रॉडक्ट्स के प्राइसेज घटाए हैं। कम प्राइस वाले आइटम्स को सस्ता किया गया है, जबकि प्रीमियम डिशेज महंगी हो गई हैं। रेस्ट्रॉन्ट चेन्स का कहना है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट को वापस लेने से उनकी प्रॉफिटेबिलिटी पर 10-18 पर्सेंट का असर पड़ा है।

यम रेस्ट्रॉन्ट्स देश में 700 से अधिक पिज्जा हट और केएफसी रेस्ट्रॉन्ट्स चलाती है। इसके अलावा इसके पास कुछ टाको बेल स्टोर्स भी हैं। ये सभी ब्रांड इंडिपेडेंट वर्टिकल के तौर पर ऑपरेट करते हैं। जीएसटी में कमी या इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा कन्ज्यूमर्स तक पहुंचाना सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने एंटी-प्रॉफिटीयरिंग फ्रेमवर्क बनाया था।

इस फ्रेमवर्क के तहत राष्ट्रीय स्तर पर सभी शिकायतों की जांच एक स्टैंडिंग कमिटी करती है और राज्य के स्तर पर अधिकारियों की स्क्रीनिंग कमिटी की ओर से जांच की जाती है। अगर शिकायत सही पाई जाती है तो उसे डायरेक्टर जनरल एंटी-प्रॉफिटीयरिंग के पास जांच के लिए भेजा जाता है। इसके बाद इसकी रिपोर्ट एनएपीए के पास जाती है, जो इसके आधार पर ऑर्डर जारी करती है।