भय और आतंक के माहौल में हुए माहेश्वरी समाज कोटा के चुनाव

1299

कोटा। भय और आतंक के माहौल में माहेश्वरी समाज कोटा के रविवार को हुए चुनाव में लगातार छह वर्ष से अध्यक्ष रहे राजेश बिरला की कार्यकारिणी फिर से काबिज हो गई है। इस चुनाव में बिरला ने समाज के बाहर के व्यक्तियों को बुलाकर डरा धमका कर पूरी कार्यकारणी के पक्ष में मतदान कराया। इतना ही नहीं अधिक वोट प्राप्त करने के लिए 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों से भी मतदान करने से नहीं चूके। 

जब इस बात का पता नवीन सोमानी पैनल के प्रत्याशी मनीष लड्ढा और पूर्व अध्यक्ष गोवर्धन खुवाल को लगा तो उन्होंने आपत्ति जताई। इस मामले में काफी देर हंगामा होता रहा। मौके पर पुलिस के होते हुए बिरला समर्थकों ने सोमानी पैनल के प्रत्याशियों से धक्का -मुक्की की। चुनाव अधिकारी चंद्र मोहन शर्मा ने बच्चों से मतदान कराने पर वोटिंग लिस्ट में नाम होने की बात कहकर टाल दिया।

चुनाव के अंतिम क्षणों में सांसद ओम बिरला के भाई नरेंद्र बिरला को दो बार मतदान करते हुए पूर्व अध्यक्ष गोवर्धन खुवाल ने टोका तो नरेंद्र ने उनसे धक्का -मुक्की की। साथ ही धमकी दी कि वे नरेंद्र बिरला को जानते नहीं। जब मामला ज्यादा गर्माने लगा तो पुलिस और उनके समर्थकों ने उन्हें रोका।  

हंगामें के बीच  1405 वोट ही पड़े 
हंगामें के बीच माहेश्वरी समाज, कोटा के चुनाव में राजेश बिरला को 892 मत मिले, वहीं निकटवर्ती प्रतिद्वंदी प्रत्याशी नवीन सोमानी को 352 मत ही प्राप्त हुए।  सुबह 10 बजे से समाज की वार्षिक साधारण सभा / प्रधान सभा हुई। उसके बाद दोपहर 2 बजे मतदान हुआ। 14 पदों के लिए 3050 मतदाता मतदान करना था, लेकिन 1405 वोट ही पड़े। इस दौरान गहमागहमी भी होती रही।

अध्यक्ष पद पर राजेश बिरला 6 साल से निर्वाचित हैं। उनके सामने फतेहचंद बागला और नवीन सोमानी थे। वहीं मंत्री पद पर विट्ठलदास मूंदड़ा 431 वोटों से जीते। उनके सामने अशोक न्याति और मायापति मैदान में थे। उपाध्यक्ष पद पर नंदकिशोर काल्या ने 918 मत प्राप्त किए, उनके निकटतम प्रतिद्वंदी जगदीश नारायण को को 396 मत मिले।

सहमंत्री घनश्याम दास मूंदड़ा 475 वोटों से विजयी रहे। मनीष समधानी व्यवस्थापक छात्रावास के पद पर 605 मतों से जीते। रामकृष्ण बागला व्यवस्थापक म.बा.वि. नि. 381 मतों से विजयी महेंद्र झंवर प्रचार अर्थ संग्रह मंत्री पद पर 781 मत प्राप्त हुए और 388 मतों से विजयी रहे। राजेन्द्र शारदा कोषाध्यक्ष पद पर 606 मतों से विजयी रहे। परामर्शदाता पद पर पूरे पांचों प्रत्याशी बिरला पैनल के हैं। इनमें अशोक कुमार नुवाल, दीपक पनवाड़, गिरिराज लखोटिया, गोपाल शारदा, मोहनदास मोहता शामिल हैं।

मतदान का समय अपर्याप्त था
दो घंटे में 3050 वोटर्स से मतदान असंभव था। इस बात का विरोध सोमानी पैनल समाचार पत्रों के माध्यम से उठा चुका था। परन्तु चुनाव अधिकारी ने बिरला के दबाव में इस बात को स्वीकार नहीं किया। मतदाताओं का कहना था कि उन्हें धमकाया गया कि, उन्हें वोट नहीं देने का परिणाम भुगतना पड़ेगा। इस डर से अधिकांश मतदाता वोट डालने ही नहीं आये। 

दो घंटे में1405 वोट कैसे संभव है
मतदाताओं ने इस बात पर आश्चर्य प्रकट किया है कि 30 पोलिंग बूथ पर दो घंटे में 1405 वोट कैसे डाले जा सकते हैं। जबकि एक वोट डालने की प्रक्रिया 3 से 5 मिनट में पूरी होती है। कम से कम 3 मिनट मानें तो एक बूथ पर 60 मिनट में 20 वोट ही डलेंगे। इस हिसाब से 30 बूथ पर 600 वोट डाले जा सकेंगे। यहाँ तो दुगने से भी ज्यादा वोट डाले गए। यानी सत्ता पक्ष ने मतदान में फर्जीवाड़ा किया।

दूसरे समाज का क्या काम
समाज के चुनाव में गैर समाज और भाजपा के वार्ड पार्षदों का क्या काम था। फिर भी सत्ता पक्ष खासकर राजेश बिरला ने अपनी प्रतिष्ठा दांव पर देखकर चुनाव जीतने के लिए अनुचित साधनों का प्रयोग किया, जो किसी से छुपा नहीं था। अपनी हार महसूस करते हुए उन्होंने नवीन सोमानी पैनल के प्रत्याशियों से कई बार झगड़ा किया।