रिवर्स चार्ज और ई-वे बिल से जुड़े प्रावधानों में किया जाएगा बदलाव

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जीएसटी काउंसिल की 24वीं बैठक जनवरी के पहले सप्ताह में दिल्ली में होगी

नई दिल्ली । शुरुआती अनुभव के आधार पर जीएसटी कानून की समीक्षा की कोशिश शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि जीएसटी के मौजूदा कानून में रिवर्स चार्ज और ई-वे बिल (इलेक्ट्रॉनिक वे बिल) से संबंधित प्रावधानों को बदला जा सकता है।

जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक में इस पर विचार होने की संभावना है। ऐसा होने पर जीएसटी का अनुपालन आसान होगा। इससे कारोबारियों को मदद मिलेगी।

जीएसटी काउंसिल ने छह अक्टूबर को नई दिल्ली में हुई बैठक में जीएसटी के तीन कानूनों-सीजीएसटी, एसजीएसटी और आइजीएसटी कानूनों की समीक्षा करने के लिए एक ‘लॉ रिव्यू कमेटी’ गठित करने का फैसला किया था।

इसके बाद काउंसिल के अध्यक्ष और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस समिति की मदद के लिए दो नवंबर को एक परामर्श यानी एडवाइजरी समूह बनाया।

केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के सेवानिवृत्त चीफ कमिश्नर गौतम रे के नेतृत्व वाले इस छह सदस्यीय परामर्श समूह में व्यापारी नेता प्रवीण खंडेलवाल और फियो के महानिदेशक अजय सहाय भी शामिल हैं। फियो निर्यातकों का शीर्ष संगठन है। सूत्रों के अनुसार अब तक इस समूह की तीन बैठकें हो चुकी हैं।

इसमें रिफंड तथा रिटर्न की प्रक्रिया आसान बनाने, ई-वे बिल के प्रावधान को कुछ और समय तक टालने, एचएसएन (हार्मनाइज्ड सिस्टम ऑफ नोमेनक्लेचर) कोड की व्यवस्था को लागू नहीं करने की व्यापारियों की मांग चर्चा की गई।

परामर्श समूह अपनी सिफारिशें 30 नवंबर तक ‘लॉ रिव्यू कमेटी’ को सौंपेगा। इसके बाद यह समिति इन सिफारिशों को जीएसटी काउंसिल के पास भेजेगी।

सूत्रों का कहना है कि जनवरी के पहले सप्ताह में दिल्ली में होने वाली जीएसटी काउंसिल की 24वीं बैठक में इन सिफारिशों पर विचार किया जाएगा।

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआइटी) के राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि जीएसटी में ‘रिवर्स चार्ज’ की व्यवस्था को पूरी तरह खत्म करने की जरूरत है।

वस्तु एवं सेवा कर कानून में यह प्रावधान जीएसटी की मूल धारणा के प्रतिकूल है। इससे न सिर्फ व्यवसाइयों को परेशानी हो रही है, बल्कि इससे सरकार को भी राजस्व का कुछ खास लाभ नहीं हो रहा है।

क्या है रिवर्स चार्ज
जब कोई पंजीकृत व्यापारी किसी अपंजीकृत डीलर से कोई सामान खरीदता है तो उस स्थिति में खरीद की राशि एक निश्चित सीमा से अधिक होने पर जीएसटी के भुगतान की जिम्मेदारी पंजीकृत व्यापारी की होती है।

हालांकि जीएसटी का जो भुगतान पंजीकृत व्यापारी करेगा, उसके एवज में वह इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा का लाभ ले सकता है। इसी तरह ई-वे बिल एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था है, जो निश्चित धनराशि से ज्यादा के किसी भी सामान को ट्रांसपोर्ट करने के लिए जरूरी है।

इसे माल भेजने से पहले जीएसटीएन पोर्टल से ऑनलाइन रूप से जनरेट करना होता है। ट्रांसपोर्ट करने वाले ट्रक के चालक के पास यह बिल हमेशा होना चाहिए।