Rice Price: 2024 तक चावल की कीमतों में 6 प्रतिशत और तेजी आने की संभावना

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नई दिल्ली। Rice Price: विश्व बैंक ग्लोबल कमोडिटी आउटलुक के मुताबिक अलनीनो का जोखिम जारी रहने की संभावना और प्रमुख चावल उत्पादक देशों द्वारा निर्यात कम किए जाने की वजह से चावल की वैश्विक कीमतों में 2025 के पहले कोई उल्लेखनीय कमी आने की संभावना नहीं है।

हाल में जारी विश्व बैंक की इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2023 में चावल की वैश्विक कीमत 2022 की तुलना में औसतन 28 प्रतिशत अधिक है और 2024 तक इसमें 6 प्रतिशत और तेजी आने की संभावना है। इसकी वजह अल नीनो का जोखिम, प्रमुख निर्यातकों और आयातकों के नीतिगत फैसले और चावल उत्पादन और निर्यात के बाजार में संकुचन है।

इससे भारत की चिंता बढ़ सकती है क्योंकि अगस्त में कम बारिश के कारण 2023 में खरीफ में चावल का उत्पादन कम होने की संभावना है। केंद्र सरकार ने भारत से चावल के निर्यात पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया है और कुछ कई किस्मों पर आयात शुल्क लगाया गया है। इससे विश्व के चावल बाजार में 40 प्रतिशत आपूर्ति कम हो गई है।

कमोडिटी आउटलुक में कहा गया है कि पर्याप्त आपूर्ति के कारण कुल मिलाकर 2023 में कृषि जिंसों की कीमत में 7 प्रतिशत और आगे 2024 और 2025 में 2 प्रतिशत और गिरावट आने की संभावना है।

आउटलुक में कहा गया है कि मक्के की कीमत चालू साल के अंत तक 2022 के स्तर से 22 प्रतिशत नीचे रह सकती है और आगे 2024 और 2025 में क्रमशः 8 प्रतिशत और 4 प्रतिशत की और गिरावट आएगी।

गेहूं के बारे में विश्व बैंक ने कहा है कि 2023 में गेहूं की वैश्विक कीमत औसतन 2022 की तुलना में 20 प्रतिशत कम रहेगी और यह 2024 और 2025 में करीब 3 प्रतिशत और कम होगी।

विश्व बैंक ने कहा है कि चीनी और कोकोवा की कीमत 2023 के उच्च स्तर से गिरने की संभावना है, हालांकि कम आपूर्ति के कारण 2024 में कीमत अधिक बनी रहेगी। वहीं उर्वरकों की कीमत कम रहने का अनुमान लगाया गया है।

घटेगा कपास उत्पादन: भारत में अक्टूबर से शुरू होने वाले 2023-24 सीजन में कपास का उत्पादन घटकर 295.1 लाख गांठ (1 गांठ में 170 किलो) रहने की संभावना है, जो 2022-23 में 318 लाख गांठ था। कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) ने अपने पहले आधिकारिक अनुमान में आज कहा है कि कुछ प्रमुख उत्पादक राज्यों में सूखा पड़ने और कीड़ों के हमले के कारण उत्पादकता कम रहेगी।

हालांकि व्यापार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि घरेलू मांग 211 लाख गांठ रह सकती है, जिसके कारण भारत 14 लाख गांठ निर्यात कर सकता है क्योंकि ओपनिंग स्टॉक करीब 29 लाख गांठ है। लेकिन अगर घरेलू मांग तेज रहती है तो कपास की कमी हो सकती है।

चीनी उत्पादन बढ़ेगा: इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (आईएसएम) ने 2023-24 के अपने पहले अनुमान में आज कहा है कि अक्टूबर से शुरू हो रहे 2023-24 चीनी सत्र में एथनॉल की ओर डायवर्जन के बगैर सकल उत्पादन 337 लाख टन रहने की संभावना है, जो पिछले साल के 366 लाख टन की तुलना में अधिक होगा।