कोटा। कार्ष्णि सेवा समिति की ओर से दादाबाड़ी स्थित श्रीराम सनातन मंदिर पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन गुरुवार को कथाव्यास राष्ट्रीय संत कार्ष्णि ब्रह्मानंद बालयोगी महाराज ने विभिन्न प्रसंग सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
यजमान गीता देवी मूंदड़ा और कमल माहेश्वरी ने भागवत पूजन कर कथा का शुभारम्भ कराया। रेडक्रॉस सोसायटी और माहेश्वरी समाज के अध्यक्ष राजेश बिरला ने पहुंचकर आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस दौरान बालयोगी महाराज ने कहा कि अलग- अलग व्यक्ति की वृत्ति भी अलग- अलग होती है। भले ही वह एक ही कुल या कुटुंब के क्यों ना हो? एक ही व्यक्ति के हृदय में सुमति और कुमति दोनों का वास होता है। यदि समय- समय पर सत्संग की दवा और कुसंग का परहेज करते रहें तो हृदय में स्थित कुमति नियंत्रण में रहती है।
उन्होंने कहा कि जीवन में हमेशा सुमति को धारण करना चाहिए। संपत्ति के पीछे नहीं दौड़ना चाहिए। जिसके पास सुमति है, उसके पास संपत्ति स्वत: आ जाती है। जबकि कुमति जीवन में काम, क्रोध, मद और लोभ पैदा कर देती है। जीवन की गाड़ी में यदि ज्ञान का प्रकाश और सत्य का ब्रेक नहीं होगा तो दुर्घटना होने की संभावना सदैव बनी रहती है।
बालयोगी महाराज ने कहा कि आजकल की युवा पीढ़ी अपने धर्म, अपने भगवान को नहीं मानते हैं। लेकिन तुम अपने धर्म को जानना चाहते हो तो पहले अपने धर्म को जानने के लिए गीता, भागवत, रामायण पढ़ो तो, तुम नहीं तुम्हारी आने वाली पीढ़ी भी संस्कारी हो जाएगी।
इस दौरान “अंत समय में आना पड़ेगा… अंत में निकला यह परिणाम, राम से बड़ा राम का नाम…” सरीखे भजनों पर भक्त झूमते रहे। वहीं बांके बिहारी के जयकारों से भवन गुंजायमान होता रहा। कार्ष्णि सेवा समिति के प्रवक्ता लीलाधर मेहता ने बताया कि कथा प्रतिदिन 2 बजे से 6 बजे तक आयोजित हो रही है।