ITR-1 फॉर्म बदला, ऐसे भरें अन्य स्रोतों से आय

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नई दिल्ली।आयकर विभाग ने इस साल इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फॉर्म में बदलाव किए हैं। इसका मतलब यह है कि ITR फाइल करते वक्त आपको अब अन्य जानकारियां भी शेयर करनी होंगी। उदाहरण के लिए, इस बार ITR-1 के ‘इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज’ के तहत दी जाने वाली जानकारी अलग होगी।

पिछले साल ITR-1 में सिर्फ ‘इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज’ में एग्रीगेट अमाउंट के बारे में पूछा गया था, लेकिन इस साल आपको रिटर्न फाइल करते वक्त अपने इनकम का ब्रेक-अप भी शेयर करना होगा। ITR फॉर्म में एक ड्रॉप डाउन मेन्यू दिया गया है, जिसमें आप अपने इनकम टाइप को चुन सकते हैं।

ड्रॉप डाउन मेन्यू में 5 विकल्प हैं:-
1.सेविंग अकाउंट पर इंट्रेस्ट
2. डिपॉजिट(बैंक/पोस्ट ऑफिस/को-ऑपरेटिव सोसायटी) पर इंट्रेस्ट
3. इनकम टैक्स रिफंड पर इंट्रेस्ट
4. फैमिली पेंशन
5 अन्य

सेविंग अकाउंट पर इंटरेस्ट
ड्रॉप डाउन मेन्यू में पहला ऑप्शन इंट्रेस्ट फ्रॉम सेविंग अकाउंट है। इसमें, आपको एक साल के अंदर सभी बैंक सेविंग अकाउंट और पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट से प्राप्त इंट्रेस्ट को फीड करना पड़ेगा।

डिपॉजिट पर इंट्रेस्ट (बैंक/पोस्ट ऑफिस/को-ऑपरेटिव सोसायटी)
अगर आपने फिक्स्ड डिपॉजिट, रेकरिंग डिपॉजिट में और पोस्ट ऑफिस की किसी स्कीम में पैसा इन्वेस्ट किया है ( पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट, पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम अकाउंट, सीनियर सिटीजन सेविंग अकाउंट) तब आपको ड्रॉप डाउन मेन्यू से दूसरा विकल्प चुनना होगा।

इनकम टैक्स रिफंड पर इंट्रेस्ट
इनकम टैक्स ऐक्ट के मुताबिक, आपको मिले टैक्स रिफंड टैक्सेबल नहीं होते, लेकिन इसपर मिला इंट्रेस्ट टैक्स के दायरे में आता है। अगर रिफंड टैक्स का 10 प्रतिशत से ज्यादा है तो टैक्स पर रिफंड विभाग द्वारा दिया जाता है। आप इसे फॉर्म 26AS में चेक कर सकते हैं।

फैमिली पेंशन
सरकारी कर्मचारी के निधन के बाद उसके परिवार को मिलने वाले पेंशन को फैमिली पेंशन कहते हैं। यह कर्मचारी की पत्नी को मिलता है। कर्मचारी को मिलने वाले पेंशन जहां ‘इनकम फ्रॉम सैलरीज’ के अंतर्गत आते हैं, इसके विपरीत फैमिली पेंशन ‘इनकम फ्रॉम द अदर सोर्सेज’ के अंतर्गत टैक्स के दायरे में आता है।

अन्य इनकम
ऊपर दर्ज इनकम के अतिरिक्त आपको कोई और आय प्राप्त हुई है जो कि टैक्स के दायरे में आती है, तो आपको उसकी जानकारी भी देनी होती है। कई अन्य तरह की आय ‘इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज’ के अंतर्गत टैक्स के दायरे में आती है। इनमें कंपनी से मिलने वाली एफडी, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स और अन्य शामिल हैं। याद रखें कि आपको मिले गिफ्ट भी टैक्स के दायरे में आते हैं, लेकिन यह गिफ्ट की कीमत पर निर्भर करता है।