कोटा। शहर में रक्तदान करने में महिलाओं का योगदान भी अनुकरणीय बनता जा रहा है। हीमोग्लोबिन व वजन के मापदंड को पूरा करने वाली महिलाएं कमोबेश कम ही होती है। किंतु बढ़-चढ कर हिस्सा लेना और अपने उत्साह से अन्य को प्रेरित करने में वे कभी पीछे नही रही है। अमुमन यही कारण है कि शहर में रक्तदान की जागरूकता को निरन्तर बढ़ावा मिल रहा है।
टीम जीवनदाता के संयोजक भुवनेश गुप्ता बताते है कि टीम के सदस्य मनोज जैन की भतीजी बजरंगनगर निवासी पारुल जैन (24) वर्ष में दो बार स्वेच्छिक रक्तदान करती है। इन बार निजी अस्पताल में भर्ती मरीज को दुर्लभ ग्रुप ऐ नेगेटीव की आवश्यकता थी। मनोज जैन ने टीम जीवनदाता के ग्रुप में सोशल मीडिया के संदेश को देख पारुल से चर्चा की । सदैव से रक्तदान को लेकर सकारात्मक एचडीएफ़सी बैंक में कार्यरत पारुल के रक्तदान करने के तीन माह पूर्ण ही हुए थे ।
रोगी की स्थिति को देखकर तुरंत चाचा के साथ ब्लड बैंक आ गयी और सातवीं बार खुशी से रक्तदान किया। रक्तदान के लिये सदैव अपने आपको शारारिक रूप से फिट रखने वाली पारुल का कहना है कि वो चाहती है कि रक्तदान में महिलाओं का प्रतिशत बढ़े । बिटिया रक्तदान के इस संस्कार को परिवार के संस्कार की भांति अपना ले ताकि हर क्षेत्र में अग्रणी महिला इस क्षेत्र में भी अपना दबदबा बनाये। मौक़े पर तीमारदार ने बिटिया के इस ज़ज़्बे को देखकर स्वयं भी रक्तदान करने का संकल्प लिया।