दिल्ली बाजार/ सरसों, सोयाबीन, मूंगफली तेलों में तेजी

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नयी दिल्ली। विदेशी बाजारों में तेजी के रुख और बरसात के मौसम की मांग बढ़ने के बीच स्थानीय तेल-तिलहन बाजार में बृहस्पतिवार को सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, सीपीओ तेल सहित विभिन्न तेल-तिलहनों के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने बताया कि शिकॉगो एक्सचेंज दो प्रतिशत की तेजी रही और मलेशिया एक्सचेंज भी 3.5 प्रतिशत मजबूत रहा। विदेशी बाजारों में आई इस तेजी का असर बाकी तेल-तिलहनों पर भी हुआ और स्थानीय कारोबार में तेल-तिलहनों के भाव सुधार के साथ बंद हुए।

उन्होंने कहा कि खाद्य तेलों की घरेलू बाजार में आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा आयात किये जाने वाले खाद्य तेलों के आयात शुल्क को घटाने तथा पामोलीन के बिना रोक टोक आयात की अनुमति देने से स्थानीय तेल रिफायनिंग कंपनियों और तिलहन उत्पादक किसानों को नुकसान है।

उनका कहना है तेल इकाइयां पहले ही अपनी लगभग 70 प्रतिशत क्षमता का ही उपयोग कर पा रही थीं लेकिन पामोलीन के आयात की छूट के बाद वे अपनी 35-40 प्रतिशत क्षमता का ही उपयोग कर पायेंगी। इस छूट के बाद बैंकों से कर्ज लेकर काम करने वाले आयातकों की पर वित्तीय दबाव और किस्त में चूक का खतरा बढ़ गया है।

सूत्रों ने कहा कि हालत यह है कि आयातक बैंकों में अपना कारोबार चलाते रहने के लिए सोयाबीन डीगम और सीपीओ को जिस भाव पर आयात कर रहे हैं उससे कहीं थोड़ी कम कीमत पर उसे बाजार में बेच रहे हैं। उधर आयात शुल्क में कमी किये जाने के बाद विदेशों में सीपीओ के दाम में 130-140 डॉलर बढ़ाकर 1,000 डॉलर प्रति टन से 1,140 डॉलर प्रति टन कर दिया गया।

इसी तरह सोयाबीन डीगम के भाव को पहले के 1,140 डॉलर से बढ़ाकर 1,345 डॉलर प्रति टन कर दिया गया। विदेशों में सीपीओ पर निर्यात शुल्क कहीं ज्यादा है जबकि पामोलीन पर निर्यात शुल्क बहुत कम लगाया गया है। उनका कहना है कि भारत को भी आयात शुल्क में घट बढ़ करने के बजाय अपना तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना चाहिये।

बाजार के जानकारों के अनुसार जाड़े के मौसम में त्यौहार और अचार बनाने के मौसम में तेल की मांग काफी बढ़ेगी जबकि सरसों की अगली फसल आने में अभी लगभग आठ महीने की देर है। उनका कहना है कि व्यापारियों, सहकारी संस्था नाफेड और हाफेड के पास इसका स्टॉक नहीं है। थोड़ा बहुत स्टॉक तेल मिलों के पास है। किसानों के पास जो स्टॉक है, उसे वे थोड़ी थोड़ी मात्रा में बाजार में ला रहे हैं। हाफेड को अभी सरसों के मौसम में इस तिलहन का स्टॉक बनाकर अपने तेल मिलों को चलाने के साथ साथ अगली बिजाई के समय के लिए सरसों बीज का इंतजाम कर लेना चाहिये।

उन्होंने कहा कि स्थानीय मांग बढ़ने से मूंगफली, बिनौला में सुधार आया। मलेशिया एक्सचेंज में तेजी को देखते हुए सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतें भी पर्याप्त सुधार के साथ बंद हुईं। बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन – 7,495 – 7,545 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।मूंगफली दाना – 5,695 – 5,840 रुपये।मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 14,000 रुपये।मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,155 – 2,285 रुपये प्रति टिन।सरसों तेल दादरी- 14,800 रुपये प्रति क्विंटल।सरसों पक्की घानी- 2,415 -2,465 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,515 – 2,625 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 15,000 – 17,500 रुपये। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,550 रुपये। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 14,300 रुपये। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 13,200 रुपये। सीपीओ एक्स-कांडला- 10,850 रुपये। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,600 रुपये।पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,650 रुपये। पामोलिन एक्स- कांडला- 11,550 (बिना जीएसटी के) सोयाबीन दाना 7,825 – 7,875, सोयाबीन लूज 7,720 – 7,820 रुपये मक्का खल (सरिस्का) 3,800 रुपये प्रति क्विंटल।