फेस मास्क ही बता देगा कोरोना है या नहीं, जानें कैसे करता है काम

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नई दिल्ली। एथिस्ट रिपब्लिकोरोना महामारी से पूरी दुनिया पिछले साल से ही परेशान पिछले है, हालांकि वैक्सीन के आने के बाद लोगों को थोड़ी राहत मिली है। संक्रमण से बचाव में फेस मास्क काफी कारगर हुआ है। लोगों की जरूरत के मुताबिक बाजार में कई तरह के फेस मास्क भी आए हैं जिनमें कुछ हाईटेक तो कुछ साधारण हैं। तमाम बचाव और वैक्सीन के बाद भी कोरोना की तीसरी लहर को लेकर लोगों के मन में डर में है। ऐसे में फेस मास्क और सावधानी अभी भी जरूरी है।

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में वाईस इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल इंस्पायर्ड इंजीनियरिंग ने एक ऐसा फेस मास्क तैयार किया है जो कोरोना संक्रमण के बारे में भी बताने में सक्षम है। इस फेस मास्क में बायोसेंसर का इस्तेमाल किया गया है जो सांस की मदद से COVID-19 का पता लगाने में मदद करता है।

रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक इस मास्क में बायोमोलेक्यूल डिटेक्शन के लिए सिंथेटिक बायोलॉजी सेंसर है। इस रिसर्च को नेचर बायोटेक्नोलॉजी जर्नल में प्रकाशित किया गया है। यह बायोसेंसर मास्क KN95 फेस मास्क के मानक पर तैयार किया गया है। इस मास्क के जरिए 90 मिनट मे यह पता लगाया जा सकता कि किसी व्यक्ति की सांस में वायरस मौजूद था या नहीं। 

इस मास्क में दिया गया सेंसर हमेशा एक्टिव नहीं रहता है। यदि आप टेस्ट करना चाहते हैं तो आपको एक बटन की मदद से सेंसर को एक्टिव करना होगा। उसके बाद रीडआउट स्ट्रिप के जरिए 90 मिनट के अंदर आपको रिजल्ट मिल जाएगा। इसकी सटीकता को लेकर आरटी पीसीआर के परिणाम जितना दावा किया गया है।

वाइस इंस्टीट्यूट के एक शोध वैज्ञानिक और रिसर्च में शामिल पीटर गुयेन का कहना है कि इस मास्क के जरिए एक पूरी लैब को छोटे से मास्क में समेटने की कोशिश की गई है। इस मास्क में इस्तेमाल हुए सिंथेटिक बायोलॉजी सेंसर का आकार काफी छोटा है। इसका इस्तेमाल किसी अन्य मास्क में भी हो सकता है। कोरोना के अलावा यह सेंसर किसी अन्य वायरस, बैक्टीरिया आदि का भी पता लगा सकते हैं। रिसर्च टीम इस मास्क के प्रोडक्शन के लिए किसी पार्टनर की तलाश कर रही है।