राजस्थान में डेल्टा+ की दस्तक, कोरोना का खतरनाक वैरिएंट बीकानेर में मिला

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बीकानेर। देश के करीब 8 राज्यों में उपस्थिति दर्ज कराने के बाद ‘डेल्टा+’ वैरिएंट ने राजस्थान में एंट्री की है। बीकानेर में इस खतरनाक वैरिएंट का पहला केस सामने आया है। पीड़ित 65 वर्षीय महिला है। राहत की बात ये है कि वह अभी पूरी तरह स्वस्थ है। वह वैक्सीन की दोनों डोज ले चुकी है। इस केस के मिलने के साथ ही राजस्थान देश का 9वां ऐसा राज्य बन गया, जहां कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन की मौजूदगी मिली है।

बीकानेर के पीबीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. परमेंद्र सिरोही ने बताया कि महिला का सैंपल 31 मई को जांच के लिए NIV (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी) को भेजा गया था। करीब 25 दिन बाद जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को मिली है। इसके बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सैंपल की रिपोर्ट बीकानेर कलेक्टर को भेजी और आगे की प्रक्रिया अपनाने के निर्देश दिए।

बीकानेर के CMHO डाॅ. ओ.पी. चाहर ने बताया कि बीकानेर से 10 कोरोना संक्रमितों के सैंपल NIV को भेजे गए थे। इसमें से एक की ये रिपोर्ट सरकार को मिली है। इस रिपोर्ट के आने के साथ ही अब प्रशासन ने जहां महिला रह रही है वहां विशेष ट्रेसिंग के निर्देश दिए हैं। चाहर का कहना है कि यह महिला बंगला नगर की रहने वाली है। उन्होंने बताया कि मेडिकल टीम अब इस एरिया में जितने लोग पिछले एक महीने में पॉजिटिव आए हैं, उनकी फिर से जांच करेगी। वहीं, महिला के पूरे परिवार के सैंपल लेकर एक बार फिर जांच के लिए भिजवाए जाएंगे।

अब तक इन राज्यों में मिल चुका ये वैरिएंट
वर्तमान में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में इस नए वैरिएंट के केस सामने आ चुके हैं। सबसे ज्यादा 21 मामले महाराष्ट्र में सामने आए हैं। अभी तक भारत में इस वैरिएंट के 50 से ज्यादा केस मिल चुके हैं, जबकि दो जनों की जान भी जा चुकी है।

राजस्थान में डेल्टा+ की जांच शुरू
अब तक देश के चुनिंदा नेशनल इंस्टीट्यूट में होने वाली जिनोम सिक्वेन्सिंग जांच की सुविधा राजस्थान के जयपुर में भी शुरू हो गई है। राज्य स्तर पर इस तरह की जांच प्रक्रिया शुरू करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है। जयपुर में प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस मेडिकल कॉलेज में यह सुविधा शुरू की है। वर्तमान में इस मशीन की क्षमता 20 सैंपल डेली जांचने की है। इसे आने वाले समय में बढ़ाकर 80 तक करने की योजना है। इसे तीसरी लहर की तैयारियों के रूप में देखा जा रहा है।