कोटा। गीता सत्संग आश्रम में हनुमान सेवा समिति की ओर से चल रही राम कथा चतुर्थ दिन की कथा में अयोध्या से पधारे संत उमाशंकर महाराज ने बताया कि जीवन में सत्संग जरूरी बहुत जरूरी है। जीवन में धर्म और संस्कार होना चाहिए। धर्म है तो जीवन हैं, व्यक्ति का मन सत्संग में जितना जल्दी बदलता है।
उतना जल्दी कही नहीं बदलता है। अगर आप सत्संग में आते है तो यह समझ लेना कि आपके ऊपर भगवान की कृपा हो रही है। जीवन में आप पाप करोगे तो उसका भी फल मिलता हैं। पुण्य करोगे तो उसका फल भी मिलेगा। आपके पास धन है तो धर्म में खर्च करना चाहिए। जिससे यहां लोक ओर परलोक दोनों ही सुधार जाएगा।
राम जनम के अवसर पर महाराज ने बताया कि जब जब धरती पर पाप बढ़ जाता है। तब तब धरती पर भगवान का अवतार होता है। भगवान श्री राम का नाम बहुत अद्भुत है। जिसने भी इसका सहारा लिया वो भव से पार हो जाते हैं। मनुष्य को आपस मे प्रेम की भावना रखनी चाहिए। जिसके जीवन में प्रेम नहीं होता है वह व्यक्ति मानसिक परेशान रहता है।