नई दिल्ली। कोरोना काल में डिजिटल ट्रांजैक्शन को खूब बढ़ावा मिला है। इसी का नतीजा है कि साल 2020-21 में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के जरिए 2233 करोड़ ट्रांजैक्शन किए गए। इन ट्रांजैक्शंस के जरिए कुल 41 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन किया गया है। भारत में UPI को अगस्त 2016 में लॉन्च किया गया था।
UPI की शुरुआत 2016 में हुई थी। पहले साल यानी 2016-17 में इसके जरिए कुल 1.8 करोड़ ट्रांजैक्शन किए गए। उस साल इन ट्रांजैक्शंस के जरिए 0.7 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ। वहीं बीते साल यानी 2020-21 में इसके जरिए कुल 2233.1 करोड़ ट्रांजैक्शन किए गए। उस साल इन ट्रांजैक्शंस के जरिए 41 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ। यानी बीते 4 साल में ट्रांजैक्शन तो लगभग 1200 गुना बढ़े, लेकिन इनके द्वारा पैसों का लेन-देन यानी ट्रांजैक्शन वैल्यू सिर्फ 50 गुना बढ़ी है। ये दर्शाता है कि बीते सालों में छोटे ट्रांजैक्शन्स की संख्या तेजी से बढ़ी है।
क्या है UPI सेवा?
वॉलेट सर्विस देने वाला हर ऐप UPI के जरिये लेन-देन की डायरेक्ट सुविधा देता है। यानी अगर आप चाहें तो वॉलेट से भी लेन-देन कर सकते हैं और UPI से भी। भारत में ई-पेमेंट के लिए वॉलेट सेवाएं भी उपलब्ध हैं। पूरे देश में जितना ऑनलाइन ट्रांजैक्शन हो रहा है, उसका 50% से भी बड़ा हिस्सा वॉलेट ऐप का है। रिटेल पेमेंट में यह आंकड़ा 85% से भी ऊपर का है।
UPI कैसे काम करता है?
UPI की सेवा लेने के लिए आपको एक वर्चुअल पेमेंट एड्रेस तैयार करना होता है। इसके बाद इसे आपको अपने बैंक अकाउंट से लिंक करना होता है। वर्चुअल पेमेंट एड्रेस आपका वित्तीय पता बन जाता है। इसके बाद आपका बैंक अकाउंट नंबर, बैंक का नाम या IFSC कोड आदि याद रखने की जरूरत नहीं होती। पेमेंट करने वाला बस आपके मोबाइल नंबर के हिसाब से पेमेंट रिक्वेस्ट प्रोसेस करता है और वह पेमेंट आपके बैंक अकाउंट में आ जाता है।
अगर, आपके पास उसका UPI आईडी (ई-मेल आईडी, मोबाइल नंबर या आधार नंबर) है तो आप अपने स्मार्टफोन के जरिए आसानी से पैसा भेज सकते हैं। न सिर्फ पैसा बल्कि यूटिलिटी बिल पेमेंट, ऑनलाइन शॉपिंग, खरीदारी आदि के लिए नेट बैंकिंग, क्रेडिट या डेबिट कार्ड भी जरूरत नहीं होगी। ये सभी काम आप यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस सिस्टम से कर सकते हैं।