नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी को खत्म होने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की क्षमता को परखा जाएगा। इसके बावजूद इस बात में कोई शक नहीं है कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से ग्रोथ करने वाली अर्थव्यवस्थाओ में से एक बनकर उभरेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था 1 अप्रैल से शुरू हुए वित्त वर्ष में 10% की ग्रोथ के रास्ते पर है। ब्लूमबर्ग ने 12 अर्थशास्त्रियों के अनुमान के आधार पर यह बात कही है। हालांकि, कोरोना की दूसरी लहर के कारण स्थानीय स्तर पर लगाए गए प्रतिबंधों के चलते कुछ अर्थशास्त्रियों ने अपने अनुमान में कटौती भी की है।
पिछले साल कोरोना संक्रमण के कारण करीब दो महीने तक सख्त लॉकडाउन लागू रहा था। इसके बाद अर्थव्यवस्था खुलने पर मोबाइल फोन से लेकर कार तक सभी वस्तुओं की मांग बढ़ी थी। ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स का कहना है कि पिछले महीने कई राज्यों ने अपने स्तर पर लॉकडाउन का दायरा बढ़ाया है। लेकिन इससे आने वाली गिरावट अर्थव्यवस्था की रिकवरी को हल्के में नहीं लेने का संदेश है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि राज्यों में प्रतिबंधों में ढील रिकवरी की मजबूती को रफ्तार देगी। वहीं, उपभोक्ता खर्च करने के लिए तैयार हैं, क्योंकि वे पिछले साल लॉकडाउन में खर्च नहीं कर पाए थे। यह काफी महत्वपूर्ण होगा।
अनुमान से ज्यादा हो सकता है नुकसान
बार्कलेज के इकोनॉमिस्ट राहुल बाजौरिया का कहना है कि भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के केसों की संख्या में कमी आने लगी है। इसके बावजूद आर्थिक नुकसान अनुमान से ज्यादा हो सकता है। वैक्सीनेशन की धीमी गति और लॉकडाउन लगाने से भारत की आर्थिक रिकवरी पर भी व्यापक असर पड़ेगा। बाजौरिया का कहना है कि यदि भारत कोविड की तीसरी लहर का सामना करता है तो ग्रोथ गिरकर 7.7% तक आ सकती है।