जयपुर। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ (RKPVS) ने राज्य के मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में कहा है कि दाल-दलहनों के कारोबारियों / डीलरों के पास उपलब्ध स्टॉक की घोषणा करने तथा कीमतों में वृद्धि के सम्बन्ध में पर्यवेक्षण करने और साथ ही साथ अनुज्ञापन अधिकारी से सत्यापित दाल-दलहन के स्टॉक का रजिस्टर भरने एवं वांछित साप्ताहिक विवरण डीएसओ के पास प्रस्तुत करने का जो आदेश जारी किया गया है, उसका व्यावहारिक तौर पर पालन करना असंभव है इसलिए खाद्य विभाग द्वारा जारी इस आदेश को निरस्त / स्थगित किया जाना चाहिए।
संघ के चेयरमैन बाबू लाल गुप्ता द्वारा हस्ताक्षरित इस पत्र में आगे कहा गया है कि राज्य में कोरोना महामारी के विरुद्ध सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान में व्यापारी वर्ग, सीमित संसाधनों के बावजूद भरपूर योगदान दे रहा है। लेकिन खाद्य विभाग ने जो नया निर्देश जारी किया है वह बहुत कठिन है।
इसमें अनुज्ञापन अधिकारी से सत्यापित स्टॉक का विवरण रोजाना रजिस्टर में निर्धारित प्रपत्र पर दर्ज करना, रजिस्टर में दर्ज स्थान पर ही दालों का स्टॉक करना, साप्ताहिक विवरण प्रस्तुत करना, 20 मई तक के स्टॉक का विवरण 21 मई तक पेश करना, अनुज्ञापन अधिकारी द्वारा दाल-दलहन के थोक एवं खुदरा मूल्य का पर्यवेक्षण करवाना मौजूदा कोरोना काल में असंभव है।
इसके अलावा अनेक तरह के अधिकारियों को स्टॉक का औचक निरीक्षण करने की शक्ति प्रदान करना राज्य में पुनः इंस्पेक्टर राज को स्थापित कर देगा जिससे दाल-दलहनों के व्यापारियों, मिलर्स एवं आयातकों का शोषण- उत्पीड़न की आशंका बढ़ जाएगी।
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने अपने पत्र में कहा है कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए राज्य में 24 मई तक लॉक डाउन /कर्फ्यू लगा हुआ है और मंडियों में सुबह 6 बजे से 11 बजे तक ही कारोबार हो रहा है। अनेक मंडियों में व्यापारियों एवं श्रमिकों सहित अन्य स्टॉफ की मौत कोरोना से होने के कारण वहां काम बंद है। जो मंडियां चालू हैं वहां भी महज 30 प्रतिशत दुकानें खुलती हैं। मुनीम, गुमास्ता एवं मजदूर अपने घर चले गए हैं जिससे कारोबार का संचालन करना कठिन हो गया है। इस वास्तविकता से अभी अवगत हैं।
जहां तक मंडियों में दाल-दलहन की कीमतों का सवाल है तो वे पूरी तरह नियंत्रण में हैं। मूंग का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य की तुलना में 500/1000 रुपए प्रति क्विंटल नीचे चल रहा है। बम्पर फसल एवं अच्छी आवक के कारण चना का दाम भी समर्थन मूल्य से 100 रुपए कम है। दालों की नियमित एवं अवस्थित ढंग से आपूर्ति हो रही है। केन्द्र सरकार ने खुले सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) के तहत 4 लाख टन दलहन विदेशों से मंगाने की अनुमति दी है जबकि कुछ दलहनों के आयात को कोटा प्रणाली से मुक्त कर दिया है।
केन्द्र सरकार ने 246 लाख टन दलहन के उत्पादन एवं 250 लाख टन के घरेलू उपयोग का अनुमान लगाया है मगर व्यापारिक आंकलन के आधार पर यह सही नहीं बैठ रहा है। वायदा में भी सटोरिया गतिविधि चल रही है। व्यापारियों ने इस बार किसानों से काफी ऊंचे दाम पर दलहनों की खरीद की है जबकि समर्थन मूल्य काफी ऊंचा है।
यदि व्यापारियों एवं मिलर्स के पास स्टॉक नहीं रहा तो दाल-दलहन की सप्लाई लाइन बाधित हो जाएगी और इंस्पेक्टर राज को प्रोत्साहित करते हुए इस कानून (आदेश) को प्रभावी रखा गया तो दालों का व्यापार करना असंभव हो जाएगा। मुख्यमंत्री को इस आदेश को तत्काल स्थगित करना चाहिए अन्यथा दाल मिलों एवं व्यापारियों को अपना कारोबार बंद करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा, जिससे कठिनाई और बढ़ जाएगी।