जयपुर। जनता को कोरोना से बचाने के लिए गहलोत सरकार द्वारा 3 मई तक लगाए गए लॉकडाउन का राजस्थान भर में व्यापारिक संगठनों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्री- फोर्टी के विरोध के बाद अब कई प्रमुख संगठनों और जिलों के व्यापार मंडल भी सड़कों पर उतरे। भरतपुर में तो व्यापारी हाथ में तख्तियां लेकर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करते रहे। अन्य कई जिलों में व्यापारियों ने प्रशासन को ज्ञापन देकर बाजार खोलने की मांग की है।
कुछ व्यापारियों ने यहां तक कहा है कि यदि प्रशासन अनुमति नहीं देगा तो कारोबारी एक-दो दिन में खुद ही बाजार खोलने को मजबूर होंगे। इस बीच नागौर कलेक्टर ने नए आदेश जारी कर जिले में दो दिन यानी शुक्रवार व शनिवार को ज्वैलरी शॉप, कपड़ा, रेडिमेड गारमेंट्स और टेलर्स शॉप खोलने की अनुमति दी है। इनके खुलने का समय दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक रहेगा।
फोर्टी ने राज्य में लॉकडाउन के कारण इन 15 दिनों में करीब 20 हजार करोड़ रुपए के घाटे का अनुमान लगाया है। सरकार को सुझाया भी है कि वह सेक्टरवाइज लॉकडाउन का फार्मूला अपना सकती है। इससे कोरोना चेन टूटेगी और सड़कों पर लोगों की भीड़ भी नहीं होगी। दूसरी ओर जयपुर एवं कोटा के व्यापारिक संगठनों ने भी लॉकडाउन का विरोध किया है। कुछ संगठनों ने मुख्यमंत्री को भी पत्र भी लिखा है, जिसमें व्यापारियों की दुकानों को खोलने का अनुरोध किया है।
कई जिलों में प्रशासन को ज्ञापन
कोटा एवं अलवर में बाजार बंद होने पर व्यापारिक संगठनों ने सामूहिक रूप से कलेक्टर को ज्ञापन दिया। नागौर में भी प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर बाजार खोलने की मांग की। उधर, झालावाड़ के एक कस्बे में खुली दुकान को बंद कराने पहुंची पुलिस से व्यापारी विरोध करते हुए उलझ पड़े। बाद में पुलिस ने उन्हें जबरन दुकान से बाहर निकाला और दुकान बंद करा दी।
श्रीगंगानगर में प्रदर्शन
श्रीगंगानगर में बाजार बंद करने का व्यापारियों ने विरोध किया। विरोध में वे सड़कों पर उतरे और नारेबाजी की। व्यापारियों का कहना था कि व्यापारी के अलावा शेष सभी लोग बाजार में आसानी से आ जा रहे हैं, लेकिन केवल व्यापारी वर्ग पर ही पाबंदी क्यों लगाई गई है? व्यापारियों को दुकानें बंद रहते भी स्थाई खर्चे जैसे कर्मचारियों का वेतन, दुकान का किराया, बिजली का बिल आदि का भुगतान करना पड़ता है।