कोरोना ने बदली परम्पराएं, बनारस में रंगोत्सव के दिन गंगा में स्नान पर रोक

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नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर की आशंकाओं और राज्यों की सख्त पाबंदियों ने रंगों के उत्सव होली को थोड़ा फीका कर दिया है। होली पर बरसों से चली आ रही परंपराएं बदल गई हैं। बनारस में रंगोत्सव के दिन लोगों के गंगा स्नान पर रोक है वहीं, ब्रज में विधवाओं की होली नहीं खेली जाएगी।

काशी में पहली बार होली के दिन हजारों लोग गंगा स्नान नहीं कर सकेंगे। कोरोना की दूसरी लहर के खतरों को देखते हुए घाट किनारे भारी संख्या में भीड़ को जुटने से रोकने के लिए जिला प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। होली के दिन के लिए अस्सी से राजघाट के बीच सभी घाटों पर धारा 144 लगा दी गई है। इसका पालन करने के लिए घाटों को छोटे-छोटे जोन में बांट कर सुरक्षा व्यवस्था भी सुनिश्चित कराई जा रही है। काशी के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब काशी के लोग होली खेलने के बाद गंगा स्नान नहीं कर सकेंगे। नावों से गंगा पार जाने पर भी प्रतिबंध रहेगा।

आगरा: विधवाओं की होली नहीं खेली जाएगी
होली के मौके पर ब्रज में कोरोना के चलते कार्यक्रमों में बदलाव किए गए हैं। वृंदावन में प्रतिवर्ष होने वाली विधवाओं की होली इस बार रद कर दी गई है। सुलभ इंटरनेशनल के पीआरओ मदन झा ने बताया कि ज्यादातर विधवा माताएं हैं और कोरोना का उन पर असर पड़ सकता है। इसलिए इस बार विधवाओं की होली रद कर दी गई है। इसी तरह शहर के प्रसिद्ध तिलक द्वार पर होने वाली होली में भी सुरक्षात्मक उपाय किए गए हैं। यहां होने वाले यज्ञ में जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया जाएगा। साथ ही यहां पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए बैठने की व्यवस्था की जाएगी।

हरिद्वार : निरंजनी अखाड़ा फूलों की होली खेलेगा
श्रीपंचायती अखाड़ा निरंजनी में इस बार कोरोना के कारण रंगों की होली नहीं खेली जाएगी। अखाड़े से जुड़े संतों ने फैसला किया है कि, वे इस बार एक दूसरे को रंग नहीं लगाएंगे, बल्कि फूलों की वर्षा कर होली मनाएंगे। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी बताते हैं, अखाड़े के संत हर साल अबीर गुलाल लगाकर और गले मिलकर होली मनाते थे। लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार अखाड़े के संत रंगों का इस्तेमाल नहीं करेंगे। होली पर्व पर फूलों की वर्षा की जाएगी और सामाजिक दूरी का ध्यान रखा जाएगा।