मुकेश भाटिया
कोटा। इस बार मौसम प्रतिकूल होने से काबली चना के उत्पादन में भारी कमी देखी जा रही है, दूसरी और आयातित माल भी इस बार ज्यादा नहीं है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए इसी लाइन पर धीरे-धीरे मोटा माल 15-20 अप्रैल तक 500/700 रुपए प्रति क्विंटल और तेज होने के आसार बन गए है।
काबुली चने का उत्पादन कर्नाटक में 35-40 प्रतिशत एवं महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश में 40-45 प्रतिशत कमजोर रहने की खबर मिल रही है। मौसम फरवरी में प्रतिकूल रहने से आई हुई पीछेती की फसलें कमज़ोर उतर रही है। दूसरी ओर कोविड-19 महामारी के चलते बीते वर्ष में आयात नहीं के बराबर रहा, जबकि अधिकतर स्टॉकिस्ट रुपए की तंगी देखकर लगातार मंदे भाव में स्टाक काटते चले गए, जिसके चलते वर्तमान में चौतरफा मंडियों में हाजिर माल की कमी होने लगी है। दूसरी ओर कटाई के बाद उत्पादकता कम होने से सीजन के शुरुआत में ही खपत और वितरक मंडियों के व्यापारी लिवाली में आ गए, जिससे नीचे वाले भाव से अभी तक 1300/1500 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी के बाद कुछ दबकर क़ीमतें बापस तेज़ी के मोड़ है और अभी और बढ़ने के आसार बन गए हैं।
उधर काबली चने का घरेलू उत्पादन 4 लाख मैट्रिक टन के घटकर 16 लाख मैट्रिक टन रह जाने का अनुमान आ रहा है, काबली चने की खपत देश में 27 लाख मैट्रिक टन के करीब है। शेष माल बाहर के आयात पर निर्भर करेगा। अभी रुपया कमजोर होने एवं विदेशों में ऊंचे भाव होने से आयातक बाहर से माल मंगाने के लिए हिम्मत नहीं जुटा रहे हैं, इन सभी परिस्थितियों से बाजार अभी तेज ही लग रहा है।
भोपाल, इंदौर लाइन के व्यापारियों की राय में कर्नाटक की मंडियों में काबली चने की आवक टूट गई है। इस बार महाराष्ट्र के अकोला लाइन में भी ज्यादा माल नहीं आया है, तथा मध्य प्रदेश के इंदौर, कर्नाटक लाइन में मोटे माल में भी पोल आने लगी है। वहां मंडियों में आवक नहीं बढ़ पा रही है, जिससे कच्ची मंडियों के के व्यापारी स्टॉक हेतु माल रोकने लगे हैं और ऐसे में वहां से यहां के लिए पड़ते से व्यापार ऊंचे भाव में होने लगा है।
फिलहाल चारों तरफ अभी माल की कमी के चलते बाजार बढ़ते जा रहे हैं। विदेशी माल भी ज्यादा नहीं है, जो सूडान का काबली चना पिछले सप्ताह 5200 रुपए बिका था, उसके भाव 5400/5500 रुपए बोलने लगे हैं। महाराष्ट्र के काबुली चना 6500/7000 रुपए को पार कर गए हैं। मध्य प्रदेश एवं कर्नाटक के पुराने माल डंक व क्वालिटी के हिसाब से 6700/7000 रुपए तक बोलने लगे हैं, तथा पीछे उत्पादक मंडियों से कोई पड़ते नहीं लग रहे हैं। इन परिस्थितियों को देखते हुए इसी लाइन पर 500/700 रुपए प्रति क्विंटल की और तेजी के आसार बन गए हैं।
उधर काबली चने का उत्पादन 4 लाख मैट्रिक टन घटकर 16 लाख मैट्रिक टन रह जाने का अनुमान आ रहा है, काबली चने की खपत देश में 27 लाख मैट्रिक टन के करीब है। शेष माल बाहर के आयात पर निर्भर करेगा। अभी रुपया कमजोर होने एवं विदेशों में ऊंचे भाव होने से आयातक बाहर से माल मंगाने के लिए हिम्मत नहीं जुटा रहे हैं, इन सभी परिस्थितियों से बाजार अभी तेज ही लग रहा है।