वित्त मंत्री ने नए कृषि कानूनों और किसान आंदोलन पर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया

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नई दिल्ली। लोकसभा में बजट पर चर्चा के दौरान कृषि कानूनों और किसान आंदोलन पर बोलते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि कानूनों और किसान आंदोलन पर कांग्रेस आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून आने के बाद APMC देश भर में कहीं भी बंद हुआ है क्या? कहीं भी बंद नहीं हुआ। मैं पूछ रही हूं कि यह साबित करें कि कहीं भी अगर एक भी APMC मंडी बंद हुई हो।

हम APMC का ढांचा बढ़ाने के लिए राज्यों को फंड भी दे रहे हैं। उम्मीद थी की हमारे तीन कानूनों में से कम से कम एक बिंदु निकालकर वे बोलें कि इसकी वजह से किसानों को नुकसान होगा मगर यह भी नहीं हुआ। कांग्रेस बोल सकती थी कि हम दो हमारे दो में दामाद को आदेश देकर आए हैं कि जमीन वापस करो लेकिन वह भी नहीं किया।

कांग्रेस पहले समर्थन करती थी और अब बदल गई’
उन्होंने कांग्रेस को फिर आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कांग्रेस क्यों पहले कृषि कानूनों का समर्थन करती थी और अब बदल गई। किसानों को इतना ज्ञान देने वाली कांग्रेस बहुत से राज्यों में चुनाव जीतने के लिए कहती थी कि हम कृषि लोन देंगे, लेकिन मध्य प्रदेश में यह लागू नहीं हुआ। कांग्रेस ने वोट लिया और किसानों को गुमराह किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ में कर्ज माफी नहीं किया। उम्मीद थी कि कांग्रेस ने इस पर बयान देगी, लेकिन नहीं दिया। उम्मीद थी कि कांग्रेस पराली के विषय पर पंजाब में कांग्रेस सरकार द्वारा किसानों को कुछ राहत दिलाएगी मगर ये भी नहीं किया।

  1. कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक

प्रावधान

  • किसानों और व्यापारियों को मंडी से बाहर फसल बेचने की आजादी होगी।
  • राज्य के अंदर और दो राज्यों के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
  • उपज को देश में कहीं भी बेचने की आजादी होगी।
  • किसानों को दाम बेहतर मिलेंगे।ऑनलाइन खरीद-बिक्री होगी।

विरोध क्यों: यदि किसान पंजीकृत एपीएमसी के बाहर अपनी फसल को बेचेंगे, तो राज्य मंडी शुल्क जमा नहीं कर पाएंगे। इसके चलते राज्य के राजस्व को नुकसान होगा। यह अंततः एमएसपी-आधारित खरीद प्रणाली को समाप्त कर सकता है। इससे ई-एनएएम मंडी संरचना नष्ट हो जाएगी।

  1. कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) क़ीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक

प्रावधान

  • कृषि उत्‍पादों की बिक्री, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जुड़ने के लिए सशक्‍त करेगा।
  • अनुबंधित किसानों को गुणवत्ता वाले बीज की आपूर्ति सुनिश्चित करना, ऋण की सुविधा और फसल बीमा की सुविधा मिलेगी।
  • छोटे किसानों की आय बढ़ेगी। बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी। आपूर्ति चेन तैयार होगा।

विरोध क्यों: इस कानून के तहत निजी कंपनियां खेती करेंगी जबकि किसान मजदूर बन जाएगा। किसान नेताओं का कहना है कि इसमें एग्रीमेंट की समय सीमा तो बताई गई है लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य का जिक्र नहीं किया गया है।

  1. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक

प्रावधान:

  • इस बिल में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्‍याज़ आलू को आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान है।
  • माना जा रहा है कि विधेयक के प्रावधानों से किसानों को सही मूल्य मिल सकेगा क्योंकि बाजार में स्पर्धा बढ़ेगी।
  • कृषि क्षेत्र में एफडीआई को आकर्षित किया जा सकेगा। अनाज, दलहन, खाद्य तेल का भंडारण होगा।

विरोध क्यों: इस कानून को लेकर किसानों का कहना है कि बड़ी कंपनियों को स्टॉक कमोडिटीज की स्वतंत्रता होगी, इसका मतलब है कि वे किसानों के लिए शर्तों को निर्धारित करेंगे, जिससे किसानों को कम कीमत पर भी अपनी फसल बेचनी पड़ सकती है।