फूल लेके भेजना चाहते थे, बच्चों की लाशें भेज रहे हैं..और रोने लगे गुलाम नबी

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नई दिल्ली। फल और फूल लेके भेजना चाहते थे, लेकिन आपके बच्चों की लाशें भेज रहे हैं। बहुत अफसोस में हैं, हम सबको माफ करना…और इतना कहकर जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi azad news) रोने लगे। ये घटना है साल 2006 की, जिसे प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi crying) के ‘आंसुओं’ ने दोबारा लोगों के जेहन में ताजा कर दिया। मंगलवार को कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद को विदाई देते वक्त पीएम मोदी इसी घटना को याद कर संसद में भावुक हो गए।

साल 2006 में जम्मू-कश्मीर में गुजराती पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले को याद करते हुए मोदी ने राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद की जमकर तारीफ की और खुद भी भावुक हुए। पूरा वाकया बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी का गला इतना रूंध गया कि वह आगे नहीं बोल सके।

श्रीनगर में 4 की हुई थी मौत
दरअसल 25 मई 2006 को श्रीनगर के बाटापोरा इलाके में गुजराती पर्यटकों को ले जा रही बस पर आतंकी हमला हुआ था। हमले में 4 टूरिस्ट मारे गए जबकि 6 अन्य बुरी तरह घायल हुए थे। घटना से तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद इतने व्यथित हुए कि उन्होंने पर्यटकों के परिवारों से हाथ जोड़कर माफी मांगी।

परिवारों से हाथ जोड़कर मांगी माफी
पर्यटकों के शव बिना किसी परेशानी के उनके घर पहुंच सकें इसके सारे इंतजाम गुलाम नबी आजाद ने खुद किए। मृत पर्यटकों (जिनमें 3 बच्चे थे) के परिवारों को विदाई देते वक्त आजाद ने रोते हुए कहा, ‘फल और फूल लेके भेजना चाहते थे, लेकिन आपके बच्चों की लाशें भेज रहे हैं। बहुत अफसोस में हैं, हम सबको माफ करना।’

इसी वाकये का जिक्र कर भावुक हो गए मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को राज्यसभा से विदा हो रहे गुलाम नबी आजाद से अपनी निकटता के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने कहा, ‘हमारी गहरी निकटता रही है। एक बार गुजरात के कुछ यात्री जम्‍मू-कश्‍मीर में आतंकी हमले में मारे गए। सबसे पहले गुलाम नबी जी का फोन आया। वह फोन सिर्फ सूचना देने का नहीं था। उनके आंसू रुक नहीं रहे थे फोन पर…’

जब रात में आया गुलाम नबी आजाद का फोन
पीएम मोदी ने बताया, ‘उस समय प्रणब मुखर्जी रक्षा मंत्री थे। मैंने उनको फोन किया कि अगर सेना का हवाई जहाज मिल जाए शव लाने के लिए… रात में फिर गुलाम नबी जी का फोन आया। उस रात को एयरपोर्ट से उन्‍होंने मुझे फोन किया और जैसे अपने परिवार के सदस्‍य की चिंता करे वैसे चिंता…।’ इसके आगे प्रधानमंत्री का गला रूंध गया और वह कुछ बोल नहीं सके। दरअसल एयरपोर्ट से पर्यटकों को विदा करने के बाद गुलाम नबी आजाद उनके पहुंचने तक क अपडेट लेते रहे और पर्यटकों को कोई दिक्कत न हो इसके लिए उन्होंने टूरिजम डिपार्टमेंट के एक अधिकारी को उनके साथ उनके घर बड़ौदा तक भेजा था।